भोपाल। केन बेतवा लिंक परियोजना की अंतिम रिपोर्ट जल शक्ति मंत्रालय ने जारी कर दी है। अंतिम रिपोर्ट में पूरे इलाके में नदियों को जोडऩे के रोड मैप के साथ पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण के लिहाज से विस्तृत कार्ययोजना को तैयार किया गया है। इस कार्य योजना में वन्यजीव संरक्षण के लिए भी विशेष प्रयास किए गए हैं। इसमें मध्यप्रदेश के नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य और दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य, उत्तर प्रदेश के रानीपुर वन्य जीव अभयारण्य के मध्य संपर्क मार्ग बनाकर एक ऐसे कॉरिडोर के निर्माण की परिकल्पना की गई है, जिसकी मदद से तीन सेंचुरी में बाघ संरक्षण के लिए उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र उपलब्ध हो सकेगा। इससे बाघों के संरक्षण के साथ रानीपुर में भी बाघ और दूसरे वन्यजीवों की आबादी को स्थापित करने में मदद मिलेगी।
गिद्ध और धडिय़ाल का भी होगा संरक्षण
दोनों नदियों और उनके आसपास के पूरे इलाके का व्यापक अध्ययन और डाटा विश्लेषण किया गया है। साथ ही प्रस्तावित गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिए विस्तार पूर्वक प्रत्येक साइड का इनपुट भी एकत्र किया जिसमें बाघ, गिद्ध और घडिय़ाल जैसी प्रमुख जातियों के संरक्षण और उन्हें आवास के साथ-साथ बेहतर प्रबंधन देने के लिए भी इस एकीकृत प्लान में व्यापक प्रावधान किए गए हैं। रिपोर्ट में स्थानीय परिदृश्य में जैव विविधता संरक्षण और मानव कल्याण के साथ रोजगार सृजन पर विशेष जोर दिया गया है। इसके अलावा वन आश्रित समुदायों को समायोजित करने के लिए इसके तहत विशेष रूप से प्रावधान किए गए हैं।
ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप की प्रबंधन योजना बनी
केन बेतवा लिंक के वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप के लिए एकीकृत लैंडस्केप प्रबंधन योजना की अंतिम रिपोर्ट जारी की। इसे भारतीय वन्यजीव संस्थान ( डब्ल्यूआईआई) देहरादून ने तैयार किया गया है। डब्ल्यूआइआइ के वैज्ञानिक डॉक्टर रमेश प्रधान के नेतृत्व में परियोजना दल ने उन्नत वैज्ञानिक उपकरणों और तकनीकों का प्रयोग कर रिपोर्ट बनाई है।
वन्य जीवों के विस्थापन का कार्य पकड़ेगा जोर
इस परियोजना की वजह से पन्ना टाइगर रिजर्व का करीब आधा हिस्सा पानी में डूब जाएगा। ऐसे में टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणियों को सुरक्षित दूसरे स्थान पर बसाने के लिए कोर एरिया को विस्तार देने की योजना है। दोनों नदियों केन और बेतवा पर बनने वाले ढोढऩबांध में अब सबसे बड़ी अड़चन पन्ना टाइगर रिजर्व ही है। पहले यहां से वन्यप्राणियों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाना है। इसके लिए कार्यवाही तेज हो गई है।
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