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‘केजरीवाल ने सारा दोष सिसोदिया पर डाला’, गिरफ्तारी के लिए CBI ने जानें क्या-क्या दलीलें दी?

नई दिल्ली: दिल्ली के कथित शराब घोटाले मामले में सीबीआई ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया. राउस एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के बाद जांच एजेंसी ने सीएम केजरीवाल को गिरफ्तार किया. सीबीआई ने अदालत से केजरीवाल की रिमांड मांगी थी. हालांकि केजरीवाल के वकील ने इसका विरोध किया था. सीबीआई के मुताबिक, सीएम केजरीवाल ने सारा दोष आप के वरिष्ठ नेता और मामले में पहले से जेल में बंद मनीष सिसोदिया पर डाल दिया है. जांच एजेंसी ने कहा कि केजरीवाल ने बताया है कि उन्हें आबकारी नीति के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि हमें केजरीवाल से हिरासत में पूछताछ की जरूरत है. वह यह भी नहीं बता रहे हैं कि विजय नायर उनके अधीन काम कर रहे थे. उनका कहना है कि वह आतिशी मार्लेना और सौरभ भारद्वाज के अधीन काम कर रहे थे. उन्होंने सारा दोष मनीष सिसोदिया पर डाल दिया और कहा कि उन्हें आबकारी नीति के बारे में कोई जानकारी नहीं है.


केजरीवाल के वकील व्रिकम चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री को 20 जून 2024 को निचली अदालत ने जमानत दिया. अब CBI को मेरी जरूरत क्यों है. वह इंतजार क्यों कर रहे थे. वह कहते हैं कि उनके पास सामग्री थी, पहले उन्होंने आकर गिरफ्तारी क्यों नहीं किया. विक्रम चौधरी ने आगे कहा कि CBI चाहती हैं कि मैं हिरासत में ही रहूं. क्या ये स्वतंत्र एजेंसियां ​​हैं या फिर ये लोगों को खुश करने के लिए खेल रही हैं. मैं यह कह रहा हूं कि अगर यह आदमी वाकई दोषी था और उसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए था, तो उन्होंने उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया?

विक्रम चौधरी ने कहा कि जांच अधिकारी को ठोस सबूत के जरिए यह साबित करना होगा कि केजरीवाल जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे. सहयोग न करना गिरफ्तारी का आधार नहीं है. सीबीआई का कहना है कि वो टालमटोल कर रहे थे. उन्हें (केजरीवाल) चुप रहने का भी अधिकार है.

सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के जो ग्राउंड कोर्ट को बताए वो हैं…

  • 16 मार्च 2021 को एक शराब कारोबारी से संपर्क किया गया कि केजरीवाल शराब नीति को लेकर मिलना चाहते हैं.
  • 20 मार्च को के कविता और मगुनता रेड्डी की मुलाकात हुई.
  • विजय नायर, आम आदमी पार्टी के कम्युनिकेशन इंचार्ज को बैठक के लिए को ऑर्डिनेट करने के लिए कहा गया.
  • लॉकडाउन होने के बावजूद प्राइवेट प्लेन से साउथ से एक टीम दिल्ली आई. मीटिंग हुई. जबकि कोरोना चरम पर था. बुच्चीबाबू ने रिपोर्ट विजय नायर को दी और फिर वो सिसोदिया के पास फाइल पहुंची.
  • साउथ ग्रुप ने बताया कि दिल्ली की शराब नीति कैसी होनी चाहिए.
  • एलजी ऑफिस ने शराब नीति को लेकर मंत्री मंडल की बैठक के लिए बोला था जो नहीं हुआ.
  • हमारे पास पैसे का ट्रेल है, पर्याप्त सबूत हैं. साउथ ग्रुप के कहने पर पॉलिसी में बदलाव हुए.
  • अभिषेक बोइनपल्ली ने विजय नायर के माध्यम से मनीष सिसोदिया को एक रिपोर्ट भेजी. सिसोदिया के सचिव सी अरविंद ने रिपोर्ट टाइप की और इसे उनके कैंप कार्यालय (सीएम) में दिया गया.
  • एलजी ऑफिस ने शराब नीति को लेकर मंत्री मंडल की बैठक के लिए बोला था जो नहीं हुआ.
  • जब रिपोर्ट एलजी ऑफिस गई तो उस पर विचार किया गया और 7 सवाल उठाए गए लेकिन उन पर कभी चर्चा नहीं हुई.
  • एलजी ऑफिस से एकमात्र सुझाव यह आया कि इसे मंत्रियों के समूह (GOM) के माध्यम से इसे भेजा जाना चाहिए और इस पर विचार नहीं किया गया.
  • हमारे पास सबूत है गोवा ट्रेल के बारे में किसने किसको पैसे दिए.
  • कोविड का समय चल रहा था, जिस जल्दबाजी में यह काम किया गया. सर्कुलेशन के जरिए हस्ताक्षर लिए गए. कोई भी इंतज़ार नहीं करना चाहता था.
  • एडवांस के तौर पर उसी समय साउथ ग्रुप की तरफ से 100 करोड़ दिए गए. ताकि प्रॉफिट मार्जिन बढ़ाकर 6 से 12 करा दिया गया.
  • सारा पैसा नकद दिया गया है, हम 44 करोड़ रुपये के बारे में पता लगा पाए हैं और यह भी पता लगा पाए हैं कि यह पैसा गोवा कैसे पहुंचा और इसका इस्तेमाल कैसे किया गया।. नप्रीत सिंह ने चुनाव के लिए, गोवा के प्रत्याशियों के लिए और यहां तक ​​कि सीएम के वहां रहने के लिए भी पैसे दे रहा है.
  • पॉलिसी के लिए सार्वजनिक सुझाव मांगा गया और उन सुझावों से छेड़छाड़ की गई, वह मनगढ़ंत थे , हमारे पास इसके लिए पर्याप्त सबूत हैं कि यह आप सदस्य थे जो टिप्पणियां कर रहे थे. जब ऐसा हो रहा था तो कुछ अधिकारी ऐसे थे जो हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं थे. जिस अधिकारी ने कहा था कि मैं हस्ताक्षर नहीं करूंगा, उसे बदल दिया गया.
  • अभिषेक बोइनपल्ली ने विजय नायर के माध्यम से मनीष सिसोदिया को एक रिपोर्ट भेजी. सिसोदिया के सचिव सी अरविंद ने रिपोर्ट टाइप की और इसे उनके कैंप कार्यालय (सीएम) में दिया गया.
  • जीओएम की रिपोर्ट साउथ ग्रुप द्वारा तैयार की गई थी, वो रिपोर्ट एलजी कार्यालय को भेजी गई.
  • कोविड का समय चल रहा था, जिस जल्दबाजी में यह काम किया गया. सर्कुलेशन के ज़रिए हस्ताक्षर लिए गए. कोई भी इंतज़ार नहीं करना चाहता था.
  • सारा पैसा नकद दिया गया है, हम 44 करोड़ रुपये के बारे में पता लगा पाए हैं और यह भी पता लगा पाए हैं कि यह पैसा गोवा कैसे पहुंचा और इसका इस्तेमाल कैसे किया गया. चनप्रीत सिंह ने चुनाव के लिए, गोवा के प्रत्याशियों के लिए और यहां तक ​​कि सीएम के वहां रहने के लिए भी पैसे दे रहा है.
  • जब रिपोर्ट एलजी ऑफिस गई तो उस पर विचार किया गया और 7 सवाल उठाए गए लेकिन उन पर कभी चर्चा नहीं हुई.
  • एलजी ऑफिस से एकमात्र सुझाव यह आया कि इसे मंत्रियों के समूह (GOM) के माध्यम से इसे भेजा जाना चाहिए और इस पर विचार नहीं किया गया.
  • पॉलिसी के लिए सार्वजनिक सुझाव मांगी और उन सुझावों से छेड़छाड़ की गई, वह मनगढ़ंत थे , हमारे पास इसके लिए पर्याप्त सबूत हैं कि यह आप सदस्य थे जो टिप्पणियां कर रहे थे. जब ऐसा हो रहा था तो कुछ अधिकारी ऐसे थे जो हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं थे. जिस अधिकारी ने कहा था कि मैं हस्ताक्षर नहीं करूंगा, उसे बदल दिया गया.
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