• img-fluid

    केजरीवाल ने भगवंत मान को आगे नहीं किया, हालात देख अपने पैर पीछे खींचे

  • January 25, 2022

    – राकेश सैन

    सांसद भगवंत मान को पंजाब में आम आदमी पार्टी का मुख्यमन्त्री का चेहरा घोषित किए जाने के बाद राजनीतिक गलियारों में प्रश्न पूछा जा रहा है कि पार्टी के सर्वेसर्वा दिल्ली के मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीवाल ने इस राज्य में अपने पैर पीछे क्यों खींच लिए ? पिछले तीन-चार महीनों से पंजाब की दीवारें इस नारे के साथ पाट दी गईं कि ‘इक मौका-केजरीवाल नूं’ तो यकायक नया नारा क्यों दे दिया कि ‘इक मौका-भगवंत मान नूं ?’

    पंजाब की राजनीतिक परिस्थितियों का सिंहावलोकन करने पर सामने आएगा कि राज्य में आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता का खजाना सिकुड़ता-सा नजर आ रहा है। पिछले विधानसभा चुनावों से पहले आम आदमी पार्टी पंजाब में आन्धी की तरह आई। राज्य के बड़े राजनीतिक चेहरों के साथ-साथ दूसरे दलों के असन्तुष्टों, युवाओं, विदेशों में बड़ी संख्या में रह रहे अनिवासी भारतीयों, यहां तक कि सिविल सोसाइटी व बुद्धिजीवी वर्ग ने भी दिल्ली की इस सनसनी को हाथों-हाथ लिया। विगत चुनावों में तत्कालीन अकाली दल बादल और भारतीय जनता पार्टी गठजोड़ वाली सरकार के खिलाफ जनाक्रोश भी काफी था जिसको चलते लग रहा था कि आम आदमी पार्टी बाजी मार जाएगी। केजरीवाल भी दिल्ली जैसे आधे-अधूरे राज्य को छोड़ पंजाब जैसे पूर्ण प्रान्त को अपनी राजनीति का केन्द्र बनाने को लालायित दिखे। नारा दिया गया कि ‘केजरीवाल-केजरीवाल सारा पंजाब तेरे नाल।’ इस दावे का आधार भी था क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनावों में पंजाब से आम आदमी पार्टी के चार सांसदों ने पहली बार अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। परन्तु इस सारी कवायद का परिणाम निकला वही ढाक के तीन पात, राज्य की 117 विधानसभा सीटों में 100 सीटों का दावा करने वाली दिल्ली की इस पार्टी को मात्र 20 सीटों पर संतोष करना पड़ा। केजरीवाल के नारे को लेकर पंजाब के लोग उपहास में कहने लगे ‘केजरीवाल-केजरीवाल एह की होया तेरे नाल।’

    पंजाब में पिछले पांच सालों में आम आदमी पार्टी की राजनीतिक ताकत कमजोर हुई है। विगत विधानसभा चुनावों के बाद बड़े-बड़े चेहरे पार्टी को छोड़ गए। इस दौरान राज्य में हुए आधा दर्जन विधानसभा उपचुनावों में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अपनी जमानतें तक नहीं बचा पाए। 2019 के लोकसभा चुनावों में लोकसभा सांसदों की संख्या चार से घट कर केवल एक रह गई और भगवंत मान ही पार्टी की थोड़ी बहुत इज्जत बचा पाए। ग्रामीण व निकाय चुनावों में भी पार्टी फिसड्डी रही। केवल इतना ही नहीं, पार्टी के 20 विधायकों में भी पार्टी नेतृत्व को लेकर असन्तोष पनपने लगा और पांच सालों में आधा दर्जन विधायक आम आदमी पार्टी को छोड़ गए। केवल इतना ही नहीं कुछ दिन पहले फिरोजपुर (ग्रामीण) विधानसभा क्षेत्र के आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार ने ही पार्टी छोड़ दी। देश के इतिहास में शायद यह पहली बार सुनने को मिला कि किसी उम्मीदवार ने भाग-दौड़ करके किसी पार्टी की टिकट प्राप्त की हो और मतदान की तारीख की घोषणा होते ही पार्टी छोड़ दी हो। यह सब आम आदमी पार्टी की गिरती साख व लोकप्रियता की निशानियां बताई जा रही हैं।

    अब पंजाब को एक बार फिर जीतने की मंशा से निकले केजरीवाल ने तीन-चार महीने पहले रैलियां, रोड शो और विभिन्न वर्गों के साथ बैठकें आयोजित करनी शुरू कर दीं परन्तु ये आयोजन उनके पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान किए गए कार्यक्रमों के मुकाबले फीके दिखे। शायद यही कारण है कि केजरीवाल ने अब अपने पैर खींच कर भगवंत मान को आगे कर दिया है। भगवंत मान को मुख्यमन्त्री का चेहरा घोषित करने के लिए चाहे केजरीवाल ने चिर-परिचित राजनीतिक स्टण्ट किया और लोकमत से नाम घोषित करने का दावा किया परन्तु वे इस मोर्चे पर भी गच्चा खा गए और उन्होंने स्वयं स्वीकार कर लिया कि पंजाब में पार्टी की ताकत पहले जैसी नहीं रही।

    पंजाब के इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेण्ट एण्ड कम्यूनिकेशन के निदेशक डॉक्टर प्रमोद कुमार कहते हैं कि इस बार विधानसभा चुनाव में पाँच पार्टियों की लड़ाई है। हाल के दिनों में आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता कम हुई है क्योंकि भगवंत मान को मुख्यमन्त्री बनाने के लिए केवल 21 लाख लोगों ने वोट डाले जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए 36.62 लाख लोगों ने वोट किया था, जो कुल मतों का 23.28 प्रतिशत था। अगर उनकी लोकप्रियता बढ़ी होती तो 36 लाख से ज़्यादा लोगों को मुख्यमन्त्री के नाम पर मुहर लगाने के लिए हुए वोट में हिस्सा लेना चाहिए था। ज्ञात रहे कि मान को 21 लाख लोगों द्वारा पसन्द किए जाने का आंकड़ा भी खुद केजरीवाल का ही है, किसी निष्पक्ष एजेंसी का नहीं। अगर इस आंकड़े को सही भी मान लें तो इसमें वर्गीकरण किया जाना सम्भव नहीं कि फोन के माध्यम से अपना मत रखने वाले लोग पंजाब के ही थे या किसी दूसरे राज्य के भी। फिलहाल केजरीवाल का 21 लाख का स्वघोषित आंकड़ा भी बताता है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता घटी है।

    केजरीवाल चाहे भगवंत मान को अपनी व लोगों की पसन्द बता रहे हैं परन्तु सच्चाई अलग ही सामने आई है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मान न मान, केजरीवाल की मजबूरी बन गए थे भगवंत मान वाली हालत बन गई थी। किसी बड़े चेहरे की तलाश में पूरी जोड़तोड़ के बाद ही अन्त में सांसद भगवंत मान को मुख्यमन्त्री का चेहरा बनाया गया। बॉलीवुड कलाकार सोनू सूद से लेकर दुबई के होटल कारोबारी एसपीएस ओबेरॉय और किसान नेता बलबीर राजेवाल के नाम मुख्यमन्त्री चेहरे के लिए चले। चर्चा यही रही कि आम आदमी पार्टी और इनके बीच बात नहीं बनी और आखिर में भगवंत मान को आगे करना पड़ा। पंजाब का मुख्यमन्त्री बनने की इच्छा दिल्ली वाले नेताओं की भी चर्चा में रही लेकिन पंजाबी किसी बाहरी नेता को स्वीकार नहीं करते। इसलिए यह विकल्प पिट गया। हर तरह की कोशिशों के बीच चुनाव सिर पर आ गए तो केजरीवाल की मजबूरी बन गई कि मान के नाम की घोषणा कर दे। कहीं चोकोणीय तो कहीं पांच कोणीय चुनाव होने के कारण पंजाब की राजनीति प्याज के छिलके जैसी होती जा रही है जिसमें कोई दल छाती ठोक कर अपनी जीत का दावा नहीं कर सकता। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के अलावा, बीजेपी से नाता तोड़ कर अकाली दल और बीएसपी गठबन्धन मैदान में है। वहीं पंजाब के पूर्व मुख्यमन्त्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबन्धन किया है। इतना ही नहीं किसान आन्दोलन में शामिल रहे 22 संगठन भी संयुक्त समाज मोर्चा के मंच पर चुनाव लड़ रहा है। ऐसी अनिश्चितता के दौर में केजरीवाल ने अपना राजनीतिक भविष्य दांव पर लगाना उचित नहीं समझा और पंजाब से अपने पैर वापिस खींच लिए। पंजाब में आम आदमी पार्टी के लोग अब ‘इक मौका केजरीवाल नूं’ का नारा भुला कर ‘इक मौका भगवन्त मान नूं’ का नया नारा याद कर रहे हैं।

    Share:

    ICC पुरुष प्लेयर ऑफ द ईयर बने पाकिस्तानी तेज गेंदबाज शाहीन शाह अफरीदी

    Tue Jan 25 , 2022
    दुबई। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (international cricket council- ICC) ने पाकिस्तान के तेज गेंदबाज शाहीन शाह अफरीदी (Pakistan fast bowler Shaheen Shah Afridi) को 2021 का पुरुष क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना है। 2021 में शाहीन ने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में शानदार प्रदर्शन किया था। 21 साल के अफरीदी ने बीते साल हुए टी-20 विश्व […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    शनिवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved