इंदौर, रोहित पचौरिया। कविता रैना हत्याकांड, वो शब्द जिसे सुनकर 7 साल बाद आज भी हर कोई सिहर उठता है। 26 अगस्त 2015 को मित्रबंधु नगर निवासी कविता रैना की लाश 6 टुकड़ों में बोरी में बंद मिली थी। कविता अपने बच्चे को घर से लेने निकली थी और वापस नहीं लौटी। इस हत्याकांड में 9 दिसम्बर 2015 को महेश बैरागी नामक व्यक्ति को आरोपी बनाया गया था, जिसे सबूतों के अभाव में कोर्ट द्वारा बरी कर दिया गया। अब 7 साल बाद फिर पुलिस विभाग में इस हत्याकांड के गड़े मुर्दे उखाडऩे की हवा चल पड़ी है। इस मामले में कविता के पति संजय रैना ने अग्निबाण से कहा कि मैं नहीं चाहता कि इस मामले में पुलिस फिर से जांच के नाम पर कोई तमाशा करे और इसकी आंच मेरी वर्तमान जिंदगी तथा दोनों बच्चों पर पड़े। उसने खुद भी दो साल पहले खरगोन में दूसरी शादी कर ली और नई पत्नी तथा दोनों बच्चों के साथ नई जिंदगी की शुरुआत कर चुका है।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त राजेश हिंगणकर ने ऐसे ब्लाइंड केस खुलवाना शुरू किए, जिनकी गुत्थी 10 साल में अब तक अनसुलझी है। इसी कड़ी में कविता रैना हत्याकांड भी शामिल है। इस केस के लिए हिंगणकर ने दो टीमों का गठन किया और इसकी जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच डीसीपी निमिष अग्रवाल को सौंपी। पूर्व में भी इस केस की जांच दो डीआईजी कर चुके हैं, जिनमें संतोष कुमार और वर्तमान कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र भी शामिल रहे थे। इधर इस केस की 7 साल बाद दोबारा जांच शुरू होने की सुगबुगाहट के चलते कविता रैना के पति संजय रैना का कहना है कि यह मध्यप्रदेश का पहला ऐसा प्रकरण था, जिसमें पूरे शहर की पुलिस जांच में जुटी थी। लगभग 80 पुलिसकर्मियों ने इस केस पर काम किया और टेलीकॉम सर्विलेंस, फोरेंसिक, रिक्रिएशन और इन्फार्मेशन एनालिसिस इन चार हिस्सों में बांटकर जांच की गई थी। यहां तक कि पुलिस ने मुझ पर भी शक किया और पूछताछ की। मैंने भी कानून की हरसंभव मदद की। यहां तक कि पुलिस वाले मेरे घर दिनभर चक्कर लगाते थे और मैं उनके हर सवाल का जवाब देता था। महेश बैरागी के बारे में संजय रैना ने बताया कि मैं शुरुआत में महेश को जानता नहीं था, लेकिन जिन सबूतों को पुलिस ने बताया उनके आधार पर मुझे भी पूरा यकीन रहा कि कविता का हत्यारा बैरागी ही था, किंतु कमजोर चार्जशीट और पुख्ता सबूत न होने से वह बरी हो गया।
हत्याकांड… फैक्ट फाइल
दूसरी शादी हो गई, नहीं चाहता पिछली जिंदगी का साया बच्चों पर पड़े
जब कविता इस दुनिया से गई, तब मेरी बेटी यशस्वी मात्र 6 वर्ष की थी और बेटा ध्रुव 10 वर्ष का। इतनी कम उम्र में इनके सिर से मां का साया उठ जाने पर मैंने 7 साल तक कैसे बच्चों की परवरिश की और कविता की उन यादों को बच्चों के जहन से मिटा पाया, यह शब्दों में बयां करना मेरे लिए मुश्किल होगा। अब मेरी शादी खरगोन निवासी दुर्गा से दो साल पहले हो चुकी है। वह बहुत अच्छी है और मेरे दोनों बच्चों को कविता की कमी महसूस नहीं होने देती। इसके पहले मेरी मां ने बच्चों को संभाला और उनकी भी मंशा थी कि मेरे जीते-जी कविता के दोषी को सजा हो, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और गत माह 29 अप्रैल को उनका देहांत हो गया। मैं पुलिस की हरसंभव मदद करने को अब भी तैयार हूं, लेकिन यही चाहता हूं कि वे जो भी इन्वेस्टिगेशन करना चाहते हैं मुझसे करें। इस मामले से मेरे परिवार तथा बच्चों को दूर रखें।
तब पति ने किया था 25 हजार रुपए देने का ऐलान
उस वक्त पत्नी कविता के लापता होने के बाद पति संजय रैना ने कुछ पर्चे छपवाए थे, जिन्हें शहरभर के ऑटो रिक्शा पर लगवाया था। इसमें संजय ने सूचना देने वाले को 25 हजार रुपए देने की घोषणा भी की थी। वहीं संजय के साथ परिजनों ने भी सोशल मीडिया पर कविता के फोटो पोस्ट कर उसकी सूचना के लिए नंबर दिए थे।
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