जम्मू । कश्मीर घाटी (Kashmir Valley) में हिंदुओं और गैर-कश्मीरियों (Hindus and non-Kashmiris) की हो रही टारगेट किलिंग (target killing) पर वहां का बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय (majority Muslim community) खामोश है. जिसके लिए उसकी जमकर आलोचना भी हो रही है. हालांकि अब वहां पर आशा की छोटी सी किरण नजर आने लगी है.
‘चाहे हमारी जमीन ले लो, अल्पसंख्यकों को बचा लो’
अनंतनाग (Anantnag) की जामिया मस्जिद (Jamia Masjid) में शुक्रवार को नमाज के दौरान टारगेट किलिंग की आलोचना की गई. मस्जिद के इमाम मौलाना फयाज अमजदी (Maulana Fayaz Amjadi) ने अपने साप्ताहिक खुत्बे में कहा कि चाहे हमारी जमीन ले लो लेकिन घाटी के अल्पसंख्यकों को सुरक्षा दी जाए. मौलाना ने कहा कि इस्लाम में जिहाद के नाम पर अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की मंजूरी नहीं दी गई है और जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वे एकदम गलत हैं.
‘निर्दोषों को मारना जिहाद नहीं’
मौलाना (Maulana Fayaz Amjadi) ने मस्जिद में नमाज के लिए जुटे लोगों से अपील की कि वे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए सामने आएं और इन हत्याओं की निंदा करें. मौलाना फयाज अमजदी ने कहा कि अगर कोई मुसलमान ये सोचता है कि अल्पसंख्यकों को मारकर वह जिहाद कर रहा है तो हम ऐसे जिहाद की आलोचना करते हैं.
‘कश्मीर में माहौल खराब करने की मंजूरी नहीं’
मस्जिद के इमाम (Maulana Fayaz Amjadi) ने कहा कि किसी को भी कश्मीर के माहौल को खराब करने की मंजूरी नहीं दी जा सकती. उन्होंने सरकार से अपील की कि चाहे तो वह उनकी जमीन ले ले लेकिन अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जाए. जिस तरह घाटी में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं, वैसे ही देश के बाकी हिस्सों में रहने वाले अल्पसंख्यकों के लिए किए जाएं.
पिछले 10 दिनों से बढ़े टारगेट किलिंग के मामले
बताते चलें कि कश्मीर में पिछले 10 दिनों से टारगेट किलिंग के मामलों में एकाएक तेजी आ गई है. सुरक्षाबलों के ऑपरेशन से बौखलाए आतंकी अब उन पर हमला करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. ऐसे में वे निर्दोष हिंदुओं और गैर-कश्मीरी लोगों को मारकर अपनी बौखलाहट जाहिर कर रहे हैं. इन टारगेट किलिंग को रोकने के लिए अब सरकार ने 5 सूत्रीय प्लान बनाकर उन्हें जड़ से खत्म करने का अभियान शुरू किया है.
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