इस्लामाबाद। जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के जोरदार ‘सफाई अभियान’ से बौखलाए पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को तेज करने के लिए नया खतरनाक प्लान तैयार किया है। इस संबंध में बाजवा ने जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल मुजाहिद्दीन और तालिबान के शीर्ष कमांडरों के साथ गुप्त बैठकें भी की हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर मुफ्ती मोहम्मद असगर खान कश्मीरी भी इस बैठक में मौजूद था जो जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों का समन्वय कर रहा है। भारतीय खुफिया एजेंसियों का कहना है कि पाकिस्तानी सेना के जनरलों ने सभी आतंकी संगठनों के बीच बैठक कराई है ताकि उनके बीच एकजुटता बन सके। इस एकजुटता का मकसद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से भारतीय सेना पर हमले तेज करना है।
दरअसल, भारत के आर्टिकल 370 के खत्म करने और जम्मू-कश्मीर को संघशासित प्रदेश का दर्जा देने के बाद पाकिस्तानी सेना बौखलाई हुई है। भारतीय खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलों की ओर से तैयार किए गए डोजियर में कहा गया है कि जैश, लश्कर, तालिबान और हिज्बुल के कमांडरों के साथ कई बैठकें हुई हैं। इस संबंध में पहली बैठक 27 दिसंबर को हुई थी। इसमें लश्कर के संस्थापक संगठन जमात उद दावा के महासचिव आमिर हमला ने जैश के कमांडरों के साथ बहालपुर में बैठक की थी ताकि दोनों मिलकर एक साथ भारत के खिलाफ अभियान तेज कर सके।
इसके बाद 3 से 8 जनवरी और 19 जनवरी को इस्लामाबाद में पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के अधिकारियों के साथ बैठकें हुईं। इन बैठकों में वैश्विक स्तर पर आतंकी संगठन घोषित किए गए समूहों के कमांडर भी शामिल हुए। इसमें जैश का अघोषित प्रमुख मुफ्ती रऊफ असगर, जैश चीफ मसूद अजहर का भाई मौलाना अम्मार, लश्कर का कमांडर जकिउर रहमान लखवी और आमित हमजा शामिल हुए थे।
इस बैठक में एकजुटता बनने के बाद मुफ्ती असगर ने लश्कर के कमांडरों से मुलाकात की ताकि कश्मीर में उनके नापाक मंसूबों को अंजाम दिया जा सके। इन आतंकी संगठनों में हथियारों को आपस में साझा करने और छिपे हुए समर्थकों की मदद करने पर सहमति बनी। इन गुटों में सहमति बनी है कि अब हिज्बुल कश्मीर में सभी हमलों की जिम्मेदारी लेगा। जैश के कमांडर तालिबान के साथ संपर्क में हैं ताकि काबुल में आतंकियों की सरकार बनने के बाद उसके आतंकवादियों को कश्मीर में भेजा जा सके।
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