भोपाल। जातिगत आरक्षण खत्म कर आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू (reservation apply) करने समेत 21 सूत्रीय मांगों को लेकर रविवार को करणी सेना (Karni Sena) परिवार ने जंबूरी मैदान (Jamboree Grounds) पर हुंकार भरी। इस दौरान युवा हाथों में बैनर और पोस्टर (banners and posters) लेकर पहुंचे। यहां पर दो लाख से ज्यादा लोग एकत्रित हो गए। युवा मैदान में पोस्टर दिखा कर नारेबाजी (sloganeering) करते दिखे- देख मामा कौन आया, माई के लाल, माई के लाल।
बता दें सात साल पहले शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने बयान दिया था कि कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता। इसके बाद 2018 में बीजेपी की सरकार सत्ता से चली गई थी। हालांकि बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल होने के बाद दोबारा शिवराज सीएम बनें। अब आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर एक बार फिर करणी सेना ने जनआंदोलन शुरू किया है।
करणी सेना प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने कहा कि सरकार ने हमारी मांगे पूरी नहीं की तो हम चुनावी राजनीति (electoral politics) में प्रवेश करने से भी परहेज नहीं करेंगे। सवर्ण और पिछड़ा वर्ग हमारे साथ है। हम व्यवस्था बदलने आंदोलन कर रहे हैं। हमारी मांगों पर सरकार ने विचार नहीं किया तो हम सत्ता बदल देंगे। बता दें करणी सेना जातिगत आरक्षण खत्म कर आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग, ऐट्रोसिटी एक्ट समेत 21 सूत्रीय मांगों को लेकर जन आंदोलन कर रही हैं।
करणी सेना परिवार के कार्यकर्ताओं का शनिवार सुबह से ही भोपाल पहुंचना शुरू हो गया था। इसमें प्रदेश के कई जिलों के साथ ही राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश समेत अन्य राज्यों के लोग शामिल हैं। यह लोग बस, ट्रक, ट्रेन समेत अपने वाहनों से भोपाल पहुंचे। यह अपने साथ ठहरने के इंतजाम के साथ पहुंचे। जंबुरी मैदान में डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों के होने का अनुमान लगाया गया है। प्रशासन की तरफ से करणी सेना को रविवार शाम 5 बजे तक की ही अनुमति दी गई थी।
जंबुरी मैदान में लाखों लोगों के एकत्रित होने से भोपाल में कई रास्तों पर जाम जैसी स्थिति निर्मित हो गई है। पुलिस की तरफ से लोगों को परेशानी से बचाने के लिए पहले से ही रूट डायवर्ट किया गया। इसके बावजूद भेल के अंदर कई मार्गों पर जाम जैसे हालत निर्मित हो गए।
इससे पहले करणी सेना के पदाधिकारियों ने कहा कि करणी सेना के आंदोलन को दबाने के लिए सरकार ने पूरे इंतजाम किए। कई जिलों में बसों को अनुमति नहीं दी गई। इसके चलते कार्यकर्ता जिलों में भी आंदोलन कर रही है। सरकार ने जनआंदोलन को दबाने के लिए हर तरह की कोशिश की। मुख्यमंत्री निवास में क्षत्रिय समागम किया गया। यह समाज के लोगों की अवाज को दबाने का असफल प्रयास साबित हुआ।
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