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Karnataka: ईडी के केस दर्ज होते ही सिद्धारमैया की पत्नी आवंटित 14 प्लॉट सरेंडर करने को हुई तैयार

October 01, 2024

बेंगलुरु। कर्नाटक (Karnataka) के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Chief Minister Siddaramaiah) के खिलाफ ईडी (ED) के केस दर्ज करने के बाद हलचल बढ़ गई है। सीएम की पत्नी पार्वती (CM’s wife Parvati) ने MUDA को पत्र लिखकर उन्हें आवंटित 14 प्लॉट सरेंडर करने को कहा है। उन्होंने पत्र में लिखा,’मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (Mysore Urban Development Authority) की ओर से मेरे पक्ष में सौंपे गए 14 भूखंडों को रद्द करके मुआवजे वाले प्लाट को वापस करना चाहती हूं। मैं इन प्लाट्स का कब्जा भी मैसूर शहरी विकास को वापस सौंप रही हूं। कृपया मुडा इस संबंध में जल्द से जल्द कदम उठाए।’


ईडी ने लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ MUDA मामले में धन शोधन का मामला दर्ज किया है। सूत्रों ने बताया कि संघीय एजेंसी ने मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (CIR) दर्ज की है। ईडी ने इसमें सिद्धारमैया के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धाराएं लगाईं हैं। ईसीआईआर पुलिस की प्राथमिकी के समान होती है। प्रक्रिया के अनुसार, ईडी को पूछताछ के लिए आरोपियों को बुलाने और यहां तक ​कि जांच के दौरान उनकी संपत्ति कुर्क करने का अधिकार है।

सिद्धारमैया का इस्तीफा देने से इनकार
इस पर मुख्यमंत्री या किसी कांग्रेस नेता की ओर से की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, सिद्धरमैया ने पिछले हफ्ते कहा था कि उन्हें एमयूडीए मामले में निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि विपक्ष उनसे डरा हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि यह उनके खिलाफ पहला ऐसा राजनीतिक मामला है। उन्होंने यह भी दोहराया कि मामले में उनके खिलाफ अदालत के जांच के आदेश दिए जाने के बाद भी वह इस्तीफा नहीं देंगे, क्योंकि उन्होंने कुछ गलत काम नहीं किया है। उन्होंने कहा कि वह कानूनी रूप से मुकदमा लड़ेंगे। मैसूरु स्थित लोकायुक्त पुलिस प्रतिष्ठान ने 27 सितंबर को दर्ज FIR में सिद्धारमैया, उनकी पत्नी बीएम पार्वती, साले मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू को नामजद किया है। स्वामी ने देवराजू से जमीन खरीदकर उसे पार्वती को उपहार में दिया था।

आखिर क्या है यह MUDA घोटाला मामला
आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को मैसूरु के एक पॉश इलाके में मुआवजे के तौर पर जो भूखंड आवंटित किए गए थे, उनकी कीमत एमयूडीए की ओर से अधिग्रहीत की गई जमीन की तुलना में काफी अधिक थी। एमयूडीए ने पार्वती की 3.16 एकड़ जमीन के बदले में उन्हें 50:50 के अनुपात से भूखंड आवंटित किए थे ,जहां उसने आवासीय लेआउट विकसित किए थे। इस विवादास्पद योजना के तहत MUDA ने उन लोगों को 50 प्रतिशत विकसित जमीन आवंटित की थी, जिनकी अविकसित जमीन आवासीय लेआउट विकसित करने के लिए ली गई थी। आरोप लगा कि मैसूरु तालुक के कसाबा होबली के कसारे गांव के सर्वे नंबर 464 में स्थित 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी हक नहीं था।

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