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    कर्नाटक-महाराष्ट्र बॉर्डर विवाद बीजेपी के लिए बना बड़ा संकट, आखिर कैसे सुलझाएगी पार्टी?

  • December 07, 2022

    पुणे/बंगलुरु। कर्नाटक-महाराष्ट्र बॉर्डर विवाद (Karnataka-Maharashtra border dispute) ने बीजेपी के सामने गजब का संकट पैदा कर दिया है. दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकारें (BJP governments) हैं और दोनों ही राज्य एक इंच जमीन भी छोड़ने को तैयार नहीं है. इस बीच मंगलवार को जब महाराष्ट्र के नंबर प्लेट वाली ट्रक पर कर्नाटक के बेलगावी में पत्थरबाजी हुई तो स्थिति और भी बेकाबू हो गई. इसके बाद महाराष्ट्र (Maharashtra) के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस (CM Devendra Fadnavis) ने जो नंबर डायल किया वो था कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई (CM Basavaraj Bommai) का.

    रिपोर्ट के अनुसार डिप्टी सीएम फडणवीस के शब्दों में नाराजगी थी. उन्होंने कर्नाटक सीएम से तत्काल महाराष्ट्र से कर्नाटक जा रहे वाहनों और लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की. डिप्टी सीएम ने कहा कि जो भी हो रहा है वो गलत है.

    अमित शाह से बात करूंगा-फडणवीस
    चूंकि महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टियां इसे महाराष्ट्र की अस्मिता से जोड़ रही हैं इसलिए फडणवीस (Fadnavis) ने इस मामले में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं दिखाई. सीएम बोम्मई से बात करने के बाद उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर वे गृह मंत्री अमित शाह से भी बात करेंगे.

    यूं तो कर्नाटक और महाराष्ट्र का सीमा विवाद लंबे समय से चलता आ रहा है. लेकिन चूंकि इस बार दोनों ही जगह बीजेपी की सरकारें हैं इसलिए मामला ज्यादा गंभीर है. दोनों ही राज्यों के विपक्षी दल बीजेपी पर हमला कर रहे हैं. फडणवीस की नाराजगी पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम बोम्मई (CM Bommai) ने उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिया और कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. सीएम बोम्मई ने कहा कि महाराष्ट्र से आने वाले सभी वाहनों को सुरक्षा दी जाएगी.


    कर्नाटक की बसों पर लिखा जय महाराष्ट्र
    हालांकि सिर्फ कर्नाटक में ही महाराष्ट्र के बसों को निशाना नहीं बनाया जा रहा है. पुणे में कर्नाटक से आ रही बसों को भी टारगेट किया जा रहा है. पुणे में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना से जुड़े कार्यकर्ताओं ने कर्नाटक परिवहन निगम की तीन बसों पर काले और नारंगी रंग के पेंट स्प्रे कर दिए और इन बसों पर जय महाराष्ट्र लिख दिया. इस मामले में पुणे पुलिस ने 4 से 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.

    महाराष्ट्र-कर्नाटक का ये विवाद भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन से जुड़ा है जिसकी जड़ें 1957 तक जाती हैं. जब भारत भाषा के आधार पर नए राज्य बने थे. इस बंटवारे में महाराष्ट्र ने बेलगावी पर दावा किया, जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था. महाराष्ट्र के दावे का ये आधार था कि यहां मराठी भाषी आबादी बहुतायात में है. लेकिन बंटवारे में बेलगावी कर्नाटक के हिस्से में आ गया. महाराष्ट्र ने 814 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं.

    वहीं कर्नाटक सरकार राज्य पुनर्गठन अधिनियम और 1967 में महाजन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भाषायी आधार पर किए गए सीमांकन को ही अंतिम मानता है.

    महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच सीमा विवाद क्या है? ये विवाद कितना पुराना है. ये पूरा विवाद आप विस्तार से यहां पढ़ सकते हैं.
    बयानबाजी में कोई कमजोर नहीं
    महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच जारी इस बॉर्डर विवाद ने क्षेत्रीय अस्मिता की भावना को जगा दिया है. जनमत का दबाव, विपक्ष के हमले के बीच दोनों ही राज्य इस विवाद में जरा सा भी कमजोर नहीं दिखना चाहते हैं. दोनों ही राज्य अपनी सीमा को बढ़ाना ही चाहते हैं. कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि जाट तालुक की पंचायतों ने कर्नाटक में शामिल होने का प्रस्ताव पारित किया था. हम इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. तो महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने भी कहा था कि सीमावर्ती इलाकों के हर भाई को न्याय दिलाने के लिए राज्य सरकार संकल्पित है .

    बयानबाजी के दौर में फडणवीस भी पीछे नहीं रहे. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र का कोई भी गांव कर्नाटक में नहीं जाएगा. बेलगाम, करवार, निप्पानी समेत मराठी बोलने वाले इलाकों को हासिल करने के लिए राज्य सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ेगी. बता दें कि ये मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है.

    दोनों ही राज्यों के विपक्ष को बीजेपी पर हमले का मौका मिला
    बॉर्डर का ये विवाद दोनों ही राज्यों में विपक्षी दलों के लिए मौका ले कर आया है. कर्नाटक में अगले साल ही विधानसभा चुनाव है, तो वहीं महाराष्ट्र में लगभग नई-नई सरकार है. इस विवाद में दखल देते हुए कर्नाटक के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक भाजपा को अब तो जाग जाना चाहिए और आगे की राह पर चर्चा करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए.

    24 घंटे में हमले नहीं रुके तो सब्र दूसरा रास्ता अख्तियार कर लेगा
    वहीं शरद पवार ने कहा कि दोनों राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति चिंताजनक है और वहां जो कुछ हो रहा है, उसे देखने के बाद फैसला लेने का समय आ गया है. उन्होंने कहा, ”महाराष्ट्र ने सब्र रखने का फैसला लिया है और हम अभी ऐसा करने को तैयार हैं. लेकिन उसकी भी एक सीमा है. 24 घंटे में अगर वाहनों पर हमले नहीं रुके तो यह सब्र अलग रास्ता अख्तियार करेगा और इसकी पूरी जिम्मेदारी कर्नाटक के मुख्यमंत्री की होगी.”

    महाराष्ट्र ने मुद्दा उठाया- बोम्मई
    इस बीच कर्नाटक के सीएम बोम्मई ने संयम दिखाने की कोशिश की है और कहा है कि इन विवादों का राज्य में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों से कोई लेना देना नहीं है. हालांकि उन्होंने महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद विवाद को भड़काने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र पर डाल दी. बोम्मई ने कहा, “आगामी विधानसभा चुनाव और सीमा मुद्दे पर कर्नाटक के रुख का कोई संबंध नहीं है. कई वर्षों से, यह महाराष्ट्र है जो इस मुद्दे को उठाता रहा है. और कर्नाटक ने इस पर प्रतिक्रिया दी है.

    शांति होनी चाहिए, लेकिन बॉर्डर स्टैंड पर कोई बदलाव नहीं – बोम्मई
    कर्नाटक सीएम बोम्मई ने कहा कि इस मुद्दे पर उनकी महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे से बात हुई है. उन्होंने कहा कि हम दोनों इस बात पर सहमत हुए हैं कि दोनों राज्यों में शांति होनी चाहिए और कानून व्यवस्था की स्थिति बनी रहनी चाहिए. हालांकि जहां तक कर्नाटक बॉर्डर का सवाल है तो हमारे स्टैंड में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है और कानूनी लड़ाई कोर्ट में लड़ी जाएगी.

    बता दें कि कुछ ही दिन पहले महाराष्ट्र से मंत्रियों का एक दल बेलगावी जाने वाला था और वहां प्रो मराठी ग्रुप के साथ बातचीत करने वाला था. लेकिन महाराष्ट्र के इस कदम का कन्नड संगठनों ने जोरदार विरोध किया और इसके खिलाफ प्रदर्शन किया. इसके बाद महाराष्ट्र के मंत्रियों ने इस दौरे को रद्द कर दिया.

    फिलहाल फडणवीस ने इस मुद्दे को अमित शाह के सामने उठाने की बात कहकर आलाकमान को ये संदेश दे दिया है कि बीजेपी की टॉप लीडरशिप इस मामले को तत्काल संज्ञान में ले. क्योंकि इसमें किसी तरह की बयानबाजी अथवा हिंसा से नुकसान भाजपा को ही होने वाला है, चाहे वो महाराष्ट्र हो या फिर कर्नाटक.

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