बेंगलुरु । कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के खिलाफ (Against Chief Minister Siddaramaiah) ‘मुडा’ मामले में सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका (Petition seeking CBI probe in ‘Muda’ case) खारिज कर दी (Rejected) । कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को बड़ी राहत देते हुए मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।
यह फैसला न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली कर्नाटक उच्च न्यायालय की धारवाड़ पीठ ने याचिका खारिज की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने 27 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को मामले में पहला आरोपी बनाया गया था, जबकि उनकी पत्नी बी.एम. पार्वती को दूसरा आरोपी बनाया गया था। फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए याचिकाकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने इसे एक अस्थायी झटका बताया और कहा कि आदेश पत्र उपलब्ध होने के बाद अपील दायर की जाएगी।
सिद्दारमैया पर आरोप है कि उन्होंने एमयूडीए के अधिग्रहित 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि के बदले में अपनी पत्नी के नाम पर 14 साइटों के लिए मुआवजा हासिल करने के लिए अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल किया। याचिकाकर्ता ने कर्नाटक लोकायुक्त द्वारा चल रही जांच पर आपत्ति जताई थी। वहीं इस जांच के बजाय सीबीआई जांच की मांग की थी। अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए अदालत ने लोकायुक्त को अपनी जांच जारी रखने और आगे की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए छह प्रमुख वकीलों ने इस मामले में बहस की। याचिकाकर्ता के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने स्वतंत्र सीबीआई जांच की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि जब उच्च पदस्थ सरकारी लोगों पर आरोप लगे तो निष्पक्ष जांच जरूरी है। उन्होंने तर्क दिया, “पूरी कैबिनेट ने इस मामले में सीएम सिद्दारमैया को बचाने का फैसला किया है।”
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ता ने शुरू में लोकायुक्त जांच की मांग की थी, लेकिन बाद में लोकायुक्त के अपनी जांच पूरी करने से पहले सीबीआई जांच की मांग की। उन्होंने तर्क दिया, “सीबीआई भी सरकारी नियंत्रण में है। हालांकि, लोकायुक्त पुलिस लोकायुक्त संस्था के तहत स्वतंत्र रूप से काम करती है।” वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह सीबीआई जांच की मांग करने वाला “दुर्लभतम” मामला नहीं है, उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसी याचिकाओं को अनुमति देने से एक खतरनाक मिसाल कायम होगी।
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