बेंगलुरु (Bangalore) । नाबालिग लड़की (Minor girl) का यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) करने और उसे गर्भवती करने वाले आरोपी के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने इस शर्त पर आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी क्योंकि वह पीड़िता से शादी करना चाहता है। हाालंकि सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि अगर वह लड़की और बच्चे को छोड़ता है तो उसके खिलाफ पॉक्सो ऐक्ट में फिर मामला शुरू किया जाएगा।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मैसूर के एक शख्स के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है। उस पर एक लड़की का यौन उत्पीड़न करने औऱ उसे गर्भवती करने का आऱोप है। हालांकि लड़की अब 18 साल की है लेकिन, यौन उत्पीड़न के वक्त वह नाबालिग थी। इसलिए आरोपी के खिलाफ पॉक्सो ऐक्ट में मामला दर्ज किया गया था।
अदालत ने क्या कहा
अदालत ने दोनों की शादी और उनके विवाह प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के बाद 23 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने इस बात पर जोर दिया कि यदि आरोपी मामले के बंद होने के बाद लड़की और उसके बच्चे को छोड़ देता है तो यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) मामले के तहत फिर से कार्रवाई शुरू की जा सकती है।
घटना क्या हुई थी
अदालत ने पहले आरोपी को पीड़िता से शादी करने (उसके 18 वर्ष की आयु के होने के बाद) के लिए अंतरिम जमानत दी थी। घटना दो फरवरी 2023 की है, जब आरोपी स्कूल जा रही लड़की को एक सुनसान जगह पर ले गया और उसका कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया। बाद में लड़की ने एक बच्चे को जन्म दिया।
दोनों पक्षों – आरोपी और पीड़िता ने कहा कि वे एक-दूसरे से प्यार करते थे, लेकिन उन्हें माता-पिता के विरोध का सामना करना पड़ा। आरोपी की पीड़िता से विवाह करने की इच्छा को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही बंद करने का अनुरोध किया गया था।
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