नई दिल्ली. देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी (IT) कंपनी इंफोसिस (Infosys) को कथित टैक्स चोरी (Tax evasion) के मामले में बड़ी राहत (big relief) मिली है. कर्नाटक सरकार (Karnataka government) ने कंपनी को भेजे गए 32,403 करोड़ रुपये के नोटिस (notice ) को वापस ले लिया है. गुरुवार को स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में टेक दिग्गज की ओर से ये जानकारी शेयर की गई है. बुधवार को इस भारी भरकम नोटिस को लेकर इंफोसिस सुर्खियों में थी और गुरुवार को ही उसकी ओर से सफाई जारी की थी. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला…
कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी
बीते कारोबारी दिन गुरुवार को स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में इंफोसिस की ओर से बताया गया कि कंपनी को कर्नाटक राज्य के अधिकारियों से एक मैसेज मिला है, जिसमें उसे भेजे गए बताओ नोटिस को वापस लेने का जिक्र है. कंपनी को एक दिन पहले ही 32,403 करोड़ रुपये की जीएसटी डिमांड नोटिस मिला था और इस पर डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआई) ने जवाब मांगा था.
क्या है पूरा मामला?
रिपोर्ट के मुताबिक, टैक्स चोरी का ये मामला जुलाई 2017 से 2021-2022 तक का है. आरोप है कि इस अवधि के दौरान इंफोसिस ने अपनी विदेशी शाखाओं से सेवाएं प्राप्त की लेकिन उन पर 32,403 करोड़ रुपये के टैक्स का भुगतान नहीं किया. टैक्स डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि इंफोसिस सर्विसेज के प्राप्तकर्ता के रूप में सेवाओं के इपोर्ट पर आईजीएसटी का भुगतान नहीं करने के मामले पर जांच के दायरे में है.
नोटिस पर कंपनी ने दी थी ये सफाई
DGGI से मिले इस नोटिस को प्री-शो कॉज नोटिस बताते हुए Infosys ने गुरुवार को सफाई देते हुए कहा था कि नियमों के मुताबिक, इस तरह के खर्चों पर जीएसटी लागू ही नहीं होता है. इंफोसिस के अनुसार जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों पर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा जारी एक हालिया सर्कुलर के मुताबिक, भारतीय इकाई को विदेशी शाखाओं की ओर से दी जाने वाली सेवाएं जीएसटी के अधीन नहीं हैं. जीएसटी भुगतान आईटी सेवाओं के निर्यात के खिलाफ क्रेडिट या रिफंड के लिए है.
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