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    Karnataka: सीएम सिद्धारमैया राज्यपाल थावरचंद गहलोत संग दो-दो हाथ का इरादा? जानिए क्या है मामला

  • August 02, 2024

    बेंगलुरु। जमीन घोटालों (land scams) के आरोपों से घिरे कर्नाटक (Karnataka) के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) का नया बयान आया है। राज्यपाल थावरचंद गहलोत (Governor Thaawarchand Gehlot)  द्वारा सीएम पर मुकदमे (Lawsuits) के अनुमति की आशंकाओं के बीच सिद्धारमैया ने कहा कि वह इस्तीफा (resign) नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि वह भ्रष्टाचार के आरोपों के खिलाफ कानूनी और राजनीतिक ढंग से लड़ाई लड़ेंगे। आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी को मैसूर के एक पॉश इलाके में भूखंड आवंटित किया गया था। इसका संपत्ति मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसे एमयूडीए द्वारा अधिग्रहित किया गया था। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया के कई समर्थकों को भी कथित तौर पर इस तरह से लाभ मिला है।


    मुख्यमंत्री के बयान से साफ जाहिर है कि उन्होंने राज्यपाल थावरचंद गहलोत के साथ दो-दो हाथ करने का इरादा कर लिया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का यह बयान अपने आवास पर कैबिनेट मंत्रियों के साथ बैठक के बाद आया है। इसके बाद डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कुछ अन्य मंत्रियों के साथ बैठक की थी। हालांकि सिद्धारमैया इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे। बैठक में फैसला लिया गया है कि गहलोत को सलाह दी जाए कि वह कारण बताओ नोटिस वापस ले लें।

    इसके अलावा उस याचिका को भी अस्वीकार कर दें, जिसमें सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की बात है। दोनों बैठकों में यह सुनिश्चित किया गया कि सभी मंत्री भाजपा-जेडीएस के संयुक्त विपक्ष के खिलाफ एकजुट रहें। गौरतलब है कि विपक्षी दलों ने पहले ही सात दिवसीय पदयात्रा का ऐलान कर दिया है, जिसका मकसद मुख्यमंत्री पर इस्तीफे को लेकर दबाव बनाना है। उधर, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने बैठक के बाद कहा कि मुख्यमंत्री को कारण बताओ नोटिस राज्यपाल द्वारा संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग है। डीके ने यह भी कहा कि राज्यपाल ने यह कदम राजनीति से प्रेरित होकर उठाया है।

    डीके शिवकुमार ने आगे कहा कि यह 136 सीटें जीतकर सत्ता में आई हमारी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने जरूरी प्रोसीजर फॉलो नहीं किया है। साथ ही यह भी कहा कि याचिका दाखिल होते ही मुख्यमंत्री को कारण बताओ नोटिस भेजने में राजभवन ने जो तेजी ते दिखाई है, उससे लगता है कि राज्यपाल ने भी इसे पढ़ने की भी जहमत नहीं उठाई, जो 60 पेज की विस्तृत याचिका है। डीके ने कहा कि उन्होंने मामले से जुड़े तथ्यों और रिकॉर्ड में मौजूद मटीरियल पर भी ध्यान देना उचित नहीं समझा।

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