नई दिल्ली. सिद्धारमैया (siddaramaiah) के खिलाफ अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी केस दर्ज कर लिया है. ये केस भी MUDA जमीन आवंटन मामले से ही जुड़ा है, लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) को लेकर. ईडी ने ये केस लोकायुक्त की FIR का संज्ञान लेते हुए दर्ज किया है.
कर्नाटक की राजनीति के हिसाब से देखें तो ईडी के केस ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को अब एक ही कैटेगरी में ला दिया है. अब तक दोनो नेताओं में ईडी की जांच के दायरे में होना ही बड़ा फर्क बताया जाता रहा, और ये तक माना जाता रहा है कि इसी एक फर्क के चलते डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाया गया, और सिद्धारमैया मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हो गये. ईडी वाले केस की वजह से डीके शिवकुमार को कुछ दिन जेल में भी बिताने पड़े थे.
ध्यान देने वाली बात ये है कि अब इस मामले की आंच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा तक पहुंच चुकी है – और सिद्धारमैया के सपोर्ट में रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ राहुल गांधी भी कूद पड़े हैं. अपने खिलाफ मानहानि के एक केस के सिलसिले में कर्नाटक पहुंचे राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं को सिद्धारमैया का पूरी ताकत से सपोर्ट करने के लिए कहा. असल में, कर्नाटक बीजेपी ने 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की तरफ ‘40% कमीशन वाली सरकार’ के आरोप के साथ अखबारों में दिये विज्ञापन के खिलाफ मानहानि का केस किया था. ये केस राहुल गांधी के साथ साथ सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार और कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला के खिलाफ दर्ज कराया गया है.
इस बीच, सिद्धारमैया की पत्नी ने अपने नाम आवंटित सभी 14 प्लॉट लौटाने का फैसला किया है, लेकिन जो केस दर्ज हो चुके हैं, उन पर कोई फर्क पड़ेगा क्या?
फाइनेंस मिनिस्टर पर केस
कर्नाटक की जिस राजनीतिक लड़ाई के केंद्र में फिलहाल MUDA विवाद है, उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे कानूनी लड़ाई के लिए थर्ड पार्टी ऐप्स का इस्तेमाल भी धड़ल्ले से हो रहा है. और ऐसा ही एक ऐप जनाधिकार संघर्ष परिषद भी लग रहा है, जिसके आदर्श अय्यर ने एक एफआईआर दर्ज कराई है.
अपनी शिकायत में आदर्श अय्यर ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित 5 नेताओं के खिलाफ इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिये कथित रूप से उगाही करने का आरोप लगाया है.
कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके नलिन कुमार कतील भी उन्हीं 5 लोगों में शामिल हैं, और एफआईआर रद्द करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. एफआईआर केंद्रीय वित्त मंत्री, प्रवर्तन निदेशालय, जेपी नड्डा और कतील के अलावा कर्नाटक बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष बीवाई विजेंद्र का नाम भी शामिल है.
शिकायत में आरोप है कि ईडी ने कंपनियों को धमकाया था, ताकि वे इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदें. बहरहाल, हाई कोर्ट ने एफआईआर पर 22 अक्तूबर तक रोक लगा दी है.
हाई कोर्ट के जस्टिस एस. नागप्रसन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा है, ‘कानून में तय सिद्धांत है कि सिर्फ पीड़ित व्यक्ति ही शिकायत कर सकता है. इस मामले में ऐसा नहीं है.’
आरटीआई एक्टिविस्ट पर केस
जिस शिकायत के कारण MUDA केस आगे बढ़ा, उसके पीछे भी थर्ड पार्टी ही है. RTI कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा सहित तीन लोगों की पैरवी से ही ये केस यहां तक का सफर तय कर चुका है, और उसी की बदौलत कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ केस दर्ज किये जाने की मंजूरी दी थी. राज्यपाल की मंजूरी के खिलाफ सिद्धारमैया हाई कोर्ट भी गये, लेकिन राहत नहीं मिली.
अब सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा के खिलाफ भी एक केस दर्ज कराया गया है, जिसकी शिकायत एक महिला की तरफ से की गई है. मैसुरु जिले के नंजानागुड थाने में दर्ज शिकायत में महिला ने कहा है कि उसे और उसकी मां को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई थी – और चेतावनी दी गई थी कि वो अपने ससुराल पक्ष के साथ चल रहे संपत्ति विवाद से दूर रहने को कहा गया था. जिस संपत्ति का जिक्र हुआ है, उसमें महिला के पति का भी हिस्सा है, जिसका निधन हो चुका है.
स्नेहमयी कृष्णा ने अपने खिलाफ लगे आरोप को फर्जी करार दिया है, पुलिस से पूरे मामले की अच्छी तरह जांच की मांग की है.
सिद्धारमैया के खिलाफ ईडी केस
MUDA जमीन आवंटन विवाद में सिद्धारमैया को राहुल गांधी का भी सपोर्ट हासिल है, और वो भी कह चुके हैं कि ये लड़ाई वो राजनीतिक तरीके से लड़ेंगे.
कर्नाटक की इस राजनीतिक लड़ाई में कानूनी पहलू को देखा जाये तो हाई कोर्ट ने भी गंभीर माना है, और लोकायुक्त के केस दर्ज करते ही, मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए ईडी की भी एंट्री हो गई है.
विशेष अदालत के आदेश पर लोकायुक्त की एफआईआर में सिद्धारमैया के साथ साथ उनकी पत्नी बीएम पार्वती, उसके साले मल्लिकार्जुन स्वामी का भी नाम है – और अब इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए ईडी ने केस दर्ज किया है.
इस बीच एक और अपडेट आया है कि बीएम पार्वती ने MUDA की तरफ से अपने नाम आवंटित सभी 14 प्लॉट वापस करने का फैसला किया है. सिद्धारमैया की बातों से लगता है कि ऐसा करने की जरूरत नहीं है, लेकिन वो पत्नी के फैसले का सम्मान करते हैं.
कर्नाटक की ये लड़ाई वैसे ही लड़ी जा रही है, जैसे छोटे-मोटे मामलों में एक दूसरे पर दबाव बनाने के लिए थानों में दोनो पक्षों की तरफ से क्रॉस FIR दर्ज कराये जाते हैं. बाद में एक स्थिति ऐसी आती है जब अक्सर सुलह का रास्ता अपनाया जाता है – कर्नाटक में कांग्रेस और बीजेपी की ये लड़ाई किस दिशा में आगे बढ़ रही है?
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