नई दिल्ली (New Delhi)! कारगिल विजय दिवस भारतीय सैनिकों के साहस और बलिदान का याद करने और सम्मान करने का दिन है। इसलिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत ने कारगिल युद्ध (Kargil War) में पाकिस्तान (Pakistan) को हराकर जीत का परचम लहराया था। यह युद्ध 1999 में मई और जुलाई के बीच लड़ा गया था।
भारतीय सेना (Indian Army) के हाथों करारी हार के महज 78 दिनों के अंदर पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट हो गया। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी और परवेज मुशर्रफ (Parvej Musharraf) नए राष्ट्रपति बने। आखिर पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट कैसे हुआ। जानिए इसकी पूरी कहानी…
पाकिस्तान में कब और कैसे हुआ तख्तापलट?
दरअसल, पाकिस्तान में तख्तापलट 12 अक्टूबर 1999 में हुआ था। इससे पहले, शरीफ ने मुशर्रफ को एक समारोह में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान का प्रतिनिधि बनाकर श्रीलंका भेजा था, लेकिन जब वे पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस जेट से वापस कराची पहुंचे तो उनके विमान को लैंड नहीं करने दिया गया। शाम पांच बजे जब विमान हवा में था, शरीफ ने सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ को बर्खास्त कर दिया। उनके स्थान पर शीर्ष सैन्य खुफिया अधिकारी जनरल ख्वाजा जियाउद्दीन को नियुक्त किया गया। नवाज के इस कदम से उनके खिलाफ आक्रोश फैल गया।
लगभग डेढ़ घंटे बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स ने विमान को कराची इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। एक घंटे से अधिक समय तक विमान चक्कर लगाता रहा। उसका ईंधन भी कुछ ही मिनटों में खत्म होने वाला था। पायलट को डर सताने लगा था। हालांकि, बाद में विमान की लैंडिंग हुई और कुछ ही घंटों में मुशर्रफ का पाकिस्तान पर नियंत्रण हो गया।
मुशर्रफ को पता था, मेरे खिलाफ बड़ी साजिश हो रही है
परवेज मुशर्रफ को श्रीलंका में ही पता चल गया था कि उन्हें पद से हटाने की तैयारी की जा रही है। उन्हें यह भी पता चला कि उनकी बर्खास्तगी को रिटायरमेंट के रूप में पेश किया जाएगा और जनरल जियाउद्दीन को उनकी जगह आर्मी का नया प्रमुख बनाया जाएगा।
शरीफ ने बाद में जनरल जियाउद्दीन को सेना प्रमुख बना दिया, लेकिन उनके कमांड को कोई भी सैनिक नहीं मान रहा था। इससे उन्हें संदेह हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है। इस पर उन्होंने फैसला किया कि मुशर्रफ के विमान को लैंड ही न करने दिया जाए। इतना ही नहीं, पीएमओ से मुशर्रफ के रिटायरमेंट का एलान भी कर दिया गया। उनका यही फैसला आर्मी की बगावत की वजह बनी।
सेना ने शरीफ के घर को भी चारों तरफ से घेर लिया। उनकी सुरक्षा में तैनात जवानों से भी हथियार छीन लिए गए। हालांकि, फिर भी शरीफ ने नए सेना प्रमुख की नियुक्ति का अपना फैसला वापस नहीं लिया, जिसके कारण उन्हें एक गेस्ट हाउस में नजरबंद कर दिया गया। आर्मी के जवानों ने पूरी कैब्निनेट को हाउस अरेस्ट कर लिया। इसके बाद रात 10 बजकर 15 मिनट पर सरकारी चैनलों पर नवाज शरीफ की बर्खास्तगी का एलान कर दिया गया। इसकी अगली सुबह मुशर्ऱफ ने राष्ट्र को संबोधित किया।
क्या पहले से चल रही थी तख्तापलट की कार्रवाई?
सेना ने जिस तरह से कार्रवाई की उससे यह पता चलता है कि तख्तापलट की तैयारी कई हफ्तों से चल रही थी।
दरअसल, जनरल मुशर्रफ के नेतृत्व में ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ और क्षेत्रीय कोर कमांडरों ने 18 सितंबर, 21 सितंबर और 23 सितंबर को मुलाकात की और चर्चा की कि अगर प्रधानमंत्री शरीफ सेना के खिलाफ कदम उठाते हैं तो क्या करना चाहिए।
पाकिस्तानी अधिकारी और राजनेता एक महीने से अधिक समय से वाशिंगटन को तख्तापलट की संभावना के बारे में बता रहे थे और विदेश विभाग ने 21 सितंबर को पाकिस्तान की सेना को एक बेहद असामान्य चेतावनी जारी की, जिसमें उसे अपने बैरकों में रहने और राजनीति से दूर रहने के लिए कहा गया।
सितंबर के अंत में अन्य संकेत भी थे। प्रधान मंत्री शरीफ द्वारा तीन वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को हटाने या सेवानिवृत्त करने और नौसेना प्रमुख के इस्तीफा देने के बाद सेना की ओर से हंगामा सुनाई दे रहा था। इसके बावजूद सूचना मंत्री मुशाहिद हुसैन ने घोषणा की कि सरकार और सेना के बीच ‘पूर्ण सामंजस्य’ कायम है। हालांकि, बाद में खुफ़िया प्रमुख जनरल जियाउद्दीन की तरह हुसैन को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
26 सितंबर को शरीफ ने आतंकवाद विरोधी क़ानून के तहत विपक्ष की राजनीतिक रैलियों पर प्रतिबंध लगाते हुए अपने दुश्मनों पर हमला किया। फिर 30 सितंबर को उन्होंने जनरल मुशर्रफ को दो साल के लिए ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष के रूप में फिर से नियुक्त किया, जबकि उन्हें सेना प्रमुख के पद पर बरकरार रखा। शरीफ का इरादा जाहिर तौर पर जनरल को शांत करने का था।
पाकिस्तानी सैन्य विश्लेषक शिरीन मजारी ने कहा
यह बिल्कुल कोई रहस्य नहीं है कि सेना के प्रति नवाज शरीफ के इरादे क्या थे। सेना प्रमुख को इसकी जानकारी थी। इस तरह के कदम की आशंका थी और मुझे लगता है कि उनके पास इसके लिए एक आकस्मिक योजना थी।
पाकिस्तान के परवेज मुशर्रफ का इसी साल हुआ था निधन
परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले राष्ट्रपति थे। वे 2001 से लेकर 2008 तक राष्ट्रपति थे। उनका निधन पांच फरवरी 2023 को हुआ। वे 2016 से दुबई में रहते थे। उन्हें एमिलॉयडोसिस नाम की दुर्लभ बीमारी थी।
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