मुंबई। वह 18 जून 1983 का दिन था जब कपिल देव ने टनब्रिज वेल्स पर जिम्बाब्वे के खिलाफ खेले गए विश्व कप ग्रुप मैच में नाबाद 175 रन की ऐतिहासिक पारी खेली थी। उनकी इस पारी ने टीम के बाकी खिलाड़ियों में यह विश्वास जगाया था कि वह किसी भी परिस्थिति में जीत दर्ज कर सकते हैं।
कपिल ने यह पारी तब खेली, जब भारत का स्कोर पांच विकेट पर 17 रन हो गया था। सुनील गावस्कर, कृष्णमाचारी श्रीकांत, मोहिंदर अमरनाथ, संदीप पाटिल और यशपाल शर्मा सस्ते में पवेलियन लौट गये थे। इसके बाद कपिल ने अपनी 138 गेंदों की शतकीय पारी में 16 चौके और छह छक्के लगाए।
कपिल की ऐतिहासिक पारी
कपिल की 175 रन की पारी तब वन-डे क्रिकेट की सर्वोच्च व्यक्तिगत पारी थी। यह किसी भी भारतीय का वनडे में पहला शतक था। हालांकि, अब यह विश्व कप में सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर के मामले में सातवें नंबर पर है। उनसे आगे मार्टिन गुप्टिल, क्रिस गेल, गैरी कर्स्टन, सौरव गांगुली, विवियन रिचर्ड्स और डेविड वार्नर हैं।
कपिल का रिकॉर्ड 28 साल से नहीं टूटा
हालांकि, कपिल की 175 रन की पारी अब भी पांचवें नंबर या इससे निचले क्रम में बल्लेबाजी करते हुए विश्व कप और ओवरऑल वनडे में सर्वोच्च स्कोर है। यह रिकॉर्ड पिछले 28 साल से नहीं टूटा है। यूएसए के जेएस मल्होत्रा और न्यूजीलैंड के ल्यूक रोंची इस रिकॉर्ड के करीब पहुंचे पर तोड़ नहीं पाए। मल्होत्रा ने पांचवें नंबर से नीचे बल्लेबाजी करते हुए 173 रन की पारी खेली थी। वहीं, रोंची ने 170 रन की पारी खेली थी।
भारत ने जिम्बाब्वे को 31 रन से हराया
जिम्बाब्वे के खिलाफ भारत ने आठ विकेट पर 266 रन बनाए और फिर विरोधी टीम को 235 रन पर आउट करके 31 रन से जीत दर्ज थी। कपिल देव की अगुवाई में भारत ने इसके बाद अपने अंतिम ग्रुप मैच में ऑस्ट्रेलिया को 118 रन के बड़े अंतर से हराया और सेमीफाइनल में मेजबान इंग्लैंड को छह विकेट से शिकस्त दी।
वेस्टइंडीज को हराकर विश्व चैंपियन बने
फाइनल में उसका सामना दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज टीम से था। भारतीय टीम खिताबी मुकाबले में 183 रन पर आउट हो गई, लेकिन उसने कैरेबियाई टीम को 140 रन पर समेटकर 43 रन से जीत दर्ज करके विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था।
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