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    दो साल बंद रही कन्यादान योजना..शासन के 4 करोड़ बच गए

  • March 14, 2022

    • जिले में महामारी से पहले साल 2019 में मुख्यमंत्री विवाह सहायता राशि योजना में 406 विवाह हुए थे

    उज्जैन। कोरोना महामारी के कारण पिछले दो साल से प्रतिबंधों के चलते सामूहिक विवाह के आयोजन नहीं हो पाए थे। इसके चलते शासन की मुख्यमंत्री विवाह सहायता योजना में भी बेटियों की शादी नहीं हो पाई। इससे दो साल में शासन को 4 करोड़ से ज्यादा राशि की बचत हुई। महामारी से पहले जिले में मुख्यमंत्री विवाह योजना में 406 विवाह हुए थे। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में अक्षय तृतीया के अवसर पर शहर सहित पूरे जिले में मुख्यमंत्री विवाह सहायता योजना के अंतर्गत 406 कन्याओं के विवाह हुए थे। नियमानुसार प्रत्येक विवाहिता को शासन की ओर से निर्धारित की गई 51 हजार की सहायता राशि दी गई थी। यह राशि लगभग 2 करोड़ से ज्यादा तब खर्च हुई थी। हालंाकि इसके पहले भाजपा शासन काल में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना की शुरूआत में योजना के अंतर्गत विवाह करने वाली कन्याओं को सरकार की ओर से 25 हजार रुपए की सहायता राशि दी जाती थी लेकिन प्रदेश में तब हुए विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बदली और सत्तारूढ़ हुई कांग्रेस पार्टी ने इस सहायता राशि को 25 हजार से बढ़ाकर 51 हजार रुपए कर दिया था।


    इसमें से 3 हजार तो आयोजन पर खर्च और 48 हजार रुपए सीधे दुल्हन के खाते में डाले जाना सुनिश्चित किया गया था। इसके बाद 2019 में जुलाई तथा मई के महीने में अक्षय तृतीया पर शहर को मिलाकर जिले में करीब 406 शादी इस योजना के अंतर्गत हुई थी। हालांकि तब फंड के अभाव में इनमें से 250 बेटियों को ही यह राशि मिल पाई थी तथा 150 विवाहित बेटियों की सहायता राशि कुछ महीने बाद मिल पाई थी। इधर इसके बाद साल 2020 में मार्च महीने से कोरोना महामारी शुरु हो गई थी और 100 दिन से ज्यादा का लॉकडाउन लग गया था। यही हाल साल 2021 में भी रहा और यह दोनों वर्ष बड़े तथा वैवाहिक आयोजनों के लिए पाबंदी वाले साबित हुए। तीसरी लहर में भी वैवाहिक कार्यक्रमों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए लेकिन स्थिति इस बार नियंत्रण में रही और सारे प्रतिबंध भी हटाए जा चुके हैं। इस बार 3 मई को अक्षय तृतीया आ रही है। ऐसे में उम्मीद है कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत इस बार बड़े पैमाने पर जिले में सामूहिक विवाह और निकाह के कार्यक्रम आयोजित होंगे। विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री को कन्यादान योजना में शुरुआत के बाद हर वर्ष लगभग 400 से ज्यादा बेटियों के विवाह कराए जाते हैं। दो साल कोरोना के प्रतिबंधों के चलते करीब 800 विवाह कार्यक्रम नहीं हो पाए। इससे प्रत्येक विवाह में शासन की ओर से खर्च किए जाने वाली 51 हजार रुपए की राशि शासन को नहीं देनी पड़ी और इससे लगभग 4 करोड़ 8 लाख से ज्यादा की राशि सरकार को खर्च नहीं करनी पड़ी।

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