कानपुर । कानपुर (Kanpur) के कल्याणपुर में इंद्रानगर में स्थित डिविनिटी होम्स अपार्टमेंट (Divinity Homes Apartments) में एक शख्स ने अपनी पत्नी और दो बच्चों की हत्या (killing) कर दी। पति डिप्रेशन का शिकार बताया जा रहा है। घटना की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंचकर जांच पड़ताल में जुटी है। जानकारी के अनुसार, रामा मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के पद पर तैनात सुशील सिंह ने पत्नी चंद्रप्रभा (50), बेटा शिखर (20) बेटी खुशी (16) की हत्या की है। हत्या की खबर से अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों में दहशत फैल गई है।
डिविनिटी होम्स अपार्टमेंट में डॉ. सुशील कुमार (Dr. Sushil Kumar) अपनी पत्नी चंद्रप्रभा के साथ रहते थे। डॉ. सुशील रामा मेडिकल कॉलेज की फॉरेंसिक टीम के हेड हैं। उनके साथ बेटा शिखर सिंह और बेटी खुशी सिंह भी इसी अपार्टमेंट में रहते थे। शुक्रवार की शाम 5.32 बजे डॉ. सुशील कुमार ने अपने भाई सुनील को मैसेज किया। जिसमें उन्होंने लिखा कि सुनील पुलिस को इंफोर्म करो। डिप्रेशन में मैंने..।
इस मैसेज को पढ़ने के बाद सुनील अपार्टमेंट पहुंचे। दरवाजा अंदर से बंद मिला। उन्होंने दरवाजा तुड़वाया। अंदर पहुंचे तो उन्हें चंद्रप्रभा, शिखर और खुशी की लाश मिलीं। इस दौरान पुलिस भी मौके पर पहुंच चुकी थी। पुलिस छानबीन में घटनास्थल पर एक डायरी में नोट भी मिला। जिसमें डॉ. सुशील कुमार ने परिवार की हत्या समेत अपने जिंदगी को लेकर बातें लिखी थीं।
मौके से 10 पन्नों का एक सुसाइड नोट मिला है। इसमें लिखा है कि अब और कोविड नहीं, ये कोविड अब सभी को मार डालेगा। ओमिक्रॉन वैरिएंट किसी को नहीं छोड़ेगा, अब लाशें नहीं गिननी हैं। अपनी लापरवाही के चलते करियर के उस मुकाम पर फंस गया हूं। जहां से निकलना असंभव हैं।
अब और कोविड नहीं, ये कोविड अब सभी को मार डालेगा। अब और लाशें (ओमिक्रॉन) नहीं गिननी हैं। अपनी लापरवाही के चलते करियर के उस मुकाम पर फंस गया हूं। जहां से निकलना असंभव हैं। मेरा कोई भविष्य नहीं है। अत: मैं अपने होश-ओ-हवास में अपने परिवार को खत्म करके खुद को खत्म कर रहा हूं। इसका जिम्मेदार और कोई नहीं। मैं लाइलाज बीमारी से ग्रस्त हो गया हूं। आगे का भविष्य कुछ भी भी नजर नहीं आ रहा है। इसके अलावा मेरे पास कोई और चारा नहीं है।
मैं अपने परिवार को कष्ट में नहीं छोड़ सकता। सभी को मुक्ति के मार्ग में छोड़ कर जा रहा हूं। सारे कष्टों को एक ही पल में दूर कर रहा हूं। अपने पीछे मैं किसी को कष्ट में नहीं देख सकता। मेरी आत्मा मुझे कभी भी माफ नहीं करेगी। आंखों की लाइलाज बीमारी की वजह से मुझे इस तरह का कदम उठाना पड़ रहा है। पढ़ाना मेरा पेशा है। जब मेरी आंख ही नहीं रहेगी तो मैं क्या करूंगा।
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