मुंबई। बॉलिुवड ऐक्ट्रेस कंगना रनौत के दफ्तर में हुई तोड़फोड़ मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सोमवार को कोर्ट में मामले में सभी पक्षों ने अपनी-अपनी ओर से लिखित जवाब सौंप दिया है। कोर्ट में बृहन्मुंबई महानगरपालिका, कंगना रनौत और संजय राउत की ओर से लिखित प्रस्तुतियां दायर की गईं, जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
कोर्ट ने बीएमसी की फुर्ती पर उठाए सवाल
कंगना के दफ्तर में बीते 9 सितंबर को बीएमसी ने अवैध निर्माण का हवाला देकर कार्रवाई की थी। कंगना को एक दिन पहले नोटिस दिया गया और उसके बाद 24 घंटे से भी कम समय में बीएमसी ने ऐक्शन लेते हुए जमकर तोड़फोड़ की। बॉम्बे हाई कोर्ट ने जब मामले में बीएमसी से जवाब मांगा तो निगम के वकील ने कोर्ट से और समय की मांग की। इस पर जज ने बीएमसी की फटकार लगाई थी और कहा था कि वैसे तो आप बहुत तेज हैं, फिर इस मामले में इतने सुस्त कैसे हो गए?
कोर्ट ने कहा- बारिश में तोड़कर ऐसे नहीं छोड़ सकते
कंगना बनाम बीएमसी के मामले में कोर्ट ने नगर निगम को कई बार फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि बारिश के मौसम में शहर में कई इमारतों में मरम्मत का काम होना है। इससे पहले भी अवैध निर्माण को लेकर कई लोगों को नोटिस गया है, लेकिन उन मामलों में तो बीएमसी इतनी ऐक्टिव नहीं दिखती है। कोर्ट ने इससे पहले कहा था कि बरसात का मौसम है, ऐसे में किसी भी इमारत को इस तरह से तोड़कर नहीं छोड़ा जा सकता है।
बीएमसी ने कहा- 6 सितंबर से ही ले रहे हैं ऐक्शन
कोर्ट ने यह भी कहा था कि कंगना के दफ्तर में जिस तरह तोड़फोड़ हुई है, उसे देखकर लगता है कि बीएमसी ने नियमों का पालन नहीं किया। बीएमसी ने नोटिस जारी करते ही तुरंत तोड़फोड़ की कार्रवाई भी शुरू कर दी। जजों की बेंच को बीएमसी ने जो जवाब दिया है, उसमें कहा गया है कि वह छह सितंबर से ऐसे ही अवैध निर्माणों को गिराने का का काम कर रही है।
कंगना ने मांगा है 2 करोड़ का मुआवजा
मामले में कंगना रनौत ने वकील के हवाले से बीएमसी से 2 करोड़ रुपये मुआवजे की भी मांग की है। ऐसे में कोर्ट के फैसले में इसको लेकर भी बात रखी जाएगी।
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