नई दिल्ली: अभिनेत्री और मंडी से भाजपा सांसद कंगना रनौत (Kangana Ranaut, BJP MP from Mandi) द्वारा एक इंटरव्यू में किसान आंदोलन (Farmers movement) को लेकर की गई टिप्पणियों पर संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है और इसे अपमानजनक और तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है. एसकेएम ने एक बयान में कहा है- यह बेहद दुखद है कि आदतन किसानों का अपमान करने वाली इस सांसद ने अब भारतीय किसानों को हत्यारा, बलात्कारी, साजिशकर्ता और राष्ट्र-विरोधी कहकर सारी हदें पार कर दी हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा- आश्चर्य की बात नहीं है कि यह सांसद इस तरह के बयान दे रही है, क्योंकि दिल्ली की सीमाओं पर एसकेएम के नेतृत्व में किसानों के ऐतिहासिक कॉर्पोरेट विरोधी आंदोलन का अपमान करना और उसे बदनाम करना भाजपा की लंबे समय से चली आ रही नीति रही है. एसकेएम ने इस अपमान और उकसावे के बावजूद हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के किसान विरोधी कानूनों और कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ किसानों का विरोध शांतिपूर्ण और संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के अनुरूप रहे.
एसकेएम ने कहा, ‘किसान आंदोलन की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि इसकी पवित्रता थी, जिसके लिए 736 किसानों ने शहादत दी थी. इनमें लखीमपुर खीरी नरसंहार के पांच पीड़ित भी शामिल हैं. ये सभी कंगना रनौत की पार्टी के नेता और पूर्व गृह राज्य मंत्री अजय कुमार टेनी और उनके बेटे के वाहनों के नीचे कुचले गए थे. इनमें 4 किसान और एक पत्रकार शामिल थे. टेनी का बेटा हत्या के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहा है. राष्ट्रीय राजधानी के आसपास किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई. किसान आंदोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों के महान संघर्ष की अगली कड़ी है और अब भी सरकार द्वारा संरक्षित कॉर्पोरेट ताकतों और नीतियों के खिलाफ संघर्ष कर रहा है.’
एसकेएम ने कहा है कि कंगना रनौत के लिए बेहतर है कि वह भारत में किसान आंदोलन को राष्ट्रविरोधी करार देने से पहले इसके इतिहास और राजनीति को जानने की कोशिश करें. संयुक्त किसान मोर्चा ने मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी की सांसद द्वारा किसान आंदोलन को लेकर की गई निंदनीय और असत्य टिप्पणियों के लिए भारत के किसानों से माफी मांगें. बयान में कहा गया है, ‘अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री भारत के अन्नदाताओं के साथ खड़े हों और अपनी पार्टी के सदस्यों को उनके साथ दुर्व्यवहार करने की अनुमति न दें, जो देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं. यह न केवल प्रधानमंत्री का संवैधानिक कर्तव्य है, बल्कि भारत के लोग भी उनसे इससे कम की उम्मीद नहीं करते हैं.’
साथ ही एसकेएम ने भाजपा सांसद कंगना रनौत को अपने अनुचित और गलत बयानों के लिए भारत के किसानों से बिना शर्त माफी मांगने और अपने पद की गरिमा बनाए रखने की नसीहत दी है. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि कंगना के ऐसा न करने पर हमारे पास उनके सार्वजनिक बहिष्कार का आह्वान करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा. बता दें कि मंडी सांसद ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान कहा था, ‘किसानों के विरोध प्रदर्शन के नाम पर बांग्लादेश जैसी अराजकता भारत में भी हो सकती थी. बाहरी ताकतें अंदरूनी लोगों की मदद से हमें नष्ट करने की योजना बना रही हैं. यदि हमारे नेतृत्व ने दूरदर्शिता नहीं दिखायी होती, तो विदेशी ताकतें अपनी योजना में सफल हो गई होतीं. किसान आंदोलन के नाम पर हिंसा भड़काई जा रही थी, वहां बलात्कार और हत्याएं हो रही थीं. हमने शवों को लटकते देखा.’
हालांकि भाजपा ने कंगना रनौत के बयान से खुद को अलग कर लिया है. एक आधिकारिक बयान में पार्टी ने कहा, ‘किसान आंदोलन के संदर्भ में कंगना रनौत द्वारा दिया गया बयान पार्टी की राय नहीं है. कंगना रनौत के बयान से बीजेपी असहमत है. कंगना रनौत को पार्टी के नीतिगत मुद्दों पर बयान देने की न तो अनुमति है और न ही वह इसके लिए पार्टी की ओर से अधिकृत हैं. पार्टी की ओर से उन्हें निर्देशित किया गया है कि वह भविष्य में इस प्रकार का कोई बयान न करें. भारतीय जनता पार्टी सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास और सामाजिक सद्भाव के सिद्धांतों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है.’
इस बीच कांग्रेस ने कंगना के बयान के लिए बीजेपी पर निशाना साधा है. पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा, ‘कल कंगना रनौत ने अन्नदाता के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए उन्हें हत्यारा और बलात्कारी कहा था. उन्होंने 700 से अधिक किसानों की शहादत के बावजूद शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को चीन और अमेरिका द्वारा प्रायोजित बताया. चूंकि हरियाणा में चुनाव है और बीजेपी को पता है कि उनकी हार होगी, इसलिए पार्टी ने उनके बयान से किनारा कर लिया. कंगना रनौत को संसद में बैठने का कोई अधिकार नहीं है. उन्हें और बीजेपी को किसानों से माफी मांगनी चाहिए. क्या वह कह रही हैं कि बीजेपी सरकार इतनी कमजोर है कि अमेरिका और चीन भारत को अस्थिर कर रहे हैं.’
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