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कमला हैरिस US की नई उपराष्ट्रपति, अमेरिका की राजनीति में भारतीयता के वर्चस्व का बजा डंका

November 09, 2020

अब अमेरिका की राजनीति में भारतीयता के वर्चस्व का डंका बज गया है. भारतीय मूल की कमला हैरिस उपराष्ट्रपति बन गई हैं. जो भारत-अमेरिका के लिए ऐतिहासिक है. वहीं बाइडेन प्रशासन में भी भारतवंशियों की धूम है. कुछ नीतियां रिश्तों के बदलने पर बदलती हैं, कुछ नीतियां किसी के बदलने से भी नहीं बदलतीं. भारत-अमेरिका नीतियों के रास्ते पर काफी आगे निकल चुके हैं. ये ऐसा चुनाव था जिसमें बात तो अमेरिका और अमेरिकी फर्स्ट की थी लेकिन सबसे ज्यादा चर्चित भारतीय रहे. ट्रंप और बाइडेन दोनों के प्रचार में ये जताने की होड़ रही कि कौन भारतीयों का ज्यादा बड़ा शुभचिंतक है. लेकिन दिलचस्प बात ये भी है कि दोनों ने ही भारतीयों को लुभाने के लिए एक-दूसरे पर ये आरोप-प्रत्यारोप भी खूब किया कि किसने भारत के हितों को ज्यादा नुकसान पहुंचाया.

बाइडेन के लिए जब व्हाइट हाउस सजने जा रहा है तो अब उन वादों की परीक्षा का समय भी शुरू हो जाएगा जो चुनाव प्रचार में किए गए. आप इसे एक बार को चुनावी वादा मान सकते हैं लेकिन बाइडेन के साथ जिस तरह अमेरिका में भारतवंशियों की धाक बढ़ने जा रही है, उसका असर भारत के साथ नीतियों में जरूर झलकेगा. वैसे भी उपराष्ट्रपति रहते बाइडेन जब भारत आए थे तब उन्होंने भारत के साथ पीढ़ियों का रिश्ता जोड़ा था.

रिश्तों का कोई बंधन शायद अब भी बाइडेन की यादों में रहता होगा, तभी उन्होंने उपराष्ट्रपति पद के लिए अमेरिकी भारतवंशियों के सामने कमला हैरिस का विकल्प रख दिया था. वैसे ये ट्रंप की भारत प्रेम चाल की राजनीतिक काट थी लेकिन भारत के मन में एक विश्वास जताने का तरीका भी था. ट्रंप और बाइडेन की लड़ाई बहुत कठोर और कुछ-कुछ नीरस थी लेकिन जैसे ही उसमें कमला हैरिस का नाम जुड़ा ये दिलचस्प होती चली गई. इसका असर अमेरिका से लेकर भारत तक दिखाई दिया. आम तौर पर भारत की मोदी सरकार की कई नीतियों के खिलाफ रहने वाली कमला हैरिस का नाम जबसे उपराष्ट्रपति की दौड़ में आया, तब से चेन्नई में उनके पुरखों के गांव में खुशियों की लहर है. परिवार के सदस्य भावुक हैं.

इस बात पर अक्सर चर्चा होती है कि कमला हैरिस को तो भारत याद करता है लेकिन क्या कभी कमला हैरिस ने भी भारत को याद किया है? अगस्त 2020 में डेमोक्रेटिक पार्टी के नेशनल कन्वेंशन में कमला ने जो कहा वो उनके दिल की बात थी. यहां कमला हैरिस ने जो चिट्टी शब्द इस्तेमाल किया ये दक्षिण भारत में आंटी की जगह पर इस्तेमाल किया जाता है. यानी उन्हें मां भी याद रहीं और मां के संबंधी भी. न्यूयॉर्क टाइम्स ने ‘हाउ कमला हैरिस फैमिली इन इंडिया हेल्प्ड शेप हर वेल्यूज’ लेख में लिखा था कि जब वो 2010 में चुनावों का सामना कर रही थीं तब उन्होंने चेन्नई में अपनी एक आंटी को समुद्र तट के मंदिर में नारियल फोड़ने को कहा था. इस आर्टिकल में कहा गया कि तब उन्होंने भारत से जुड़ी अपनी कई यादों को शेयर किया था.

जमैका मूल के थे पिता

भारतीय जड़ों से जुड़ी वो पहली शख्सियत होंगी जो अमेरिका में इतने बड़े पद पर आसीन होंगी और अमेरिका की पहली ऐसी महिला जो उपराष्ट्रपति बनेंगी. कमला हैरिस के पिता जमैका मूल के थे लेकिन जिस तरह उन्होंने अपने नाम के साथ भारतीयता को रखा, उससे ये माना जा सकता है कि जब बात दोनों देशों के रिश्तों की आएगी, तब मिट्टी का ये कनेक्शन बीच में जरूर रहेगा. उनकी बहन का नाम भी माया है. कमला हैरिस बाइडेन के लिए ट्रंप के खिलाफ इक्का साबित हुईं या कहा जा सकता है कि इसने भारतीय मूल के अमेरिकियों को उनके पक्ष में करने का काम किया. बाइडेन ने अपने चुनावी घोषणापत्र में भी भारत को सबसे बड़ा लोकतांत्रिक और सामरिक सहयोगी देश बताते हुए रिश्ते मजबूत करने का संकल्प लिया. नतीजा ये हुआ कि स्विंग वोटर्स को भी सोचने का विकल्प मिल गया. बाइडेन ने चुनावी घोषणापत्र में ही भारतीयों को अलग से महत्व दिया. इसका असर ये हुआ कि अब तक के रिजल्ट्स के अनुसार बाइडेन के साथ लगभग डेढ़ दर्जन भारतवंशियों ने जीत का परचम लहराया. सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 20 लाख से ज्यादा भारतीय-अमेरिकन ने वोट डाला. इनमें से पांच लाख से ज्यादा वोटर्स तो अकेले फ्लोरिडा, मिशिगन और पेंसिलवेनिया में ही थे.

LA Times की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 के प्रेसिडेंशियल कैम्पेन की शुरुआत में भारतीय-अमेरिकियों ने दोनों प्रमुख पार्टियों को 3 मिलियन डॉलर यानी 22 करोड़ रुपये से ज्यादा का डोनेशन दिया था. ये हॉलीवुड के बड़े चेहरों से मिले डोनेशन से ज्यादा है. बाइडेन ने इस समर्थन के एवज में जो वादे किए हैं वो अगर उन्हें पूरा करते हैं तो वो भारत-अमेरिकी संबंधों का नया सूरज उगाएंगे.

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