भोपाल। दमोह विधानसभा सीट उप चुनाव की रणनीति पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूरी तरह से अपने हाथ में ले रखी है। दिग्विजय सिंह, अरूण यादव सहित दूसरे बड़े नेताओं की कोई भूमिका अब तक सामने नहीं आई। दमोह में अजय टंडन को अपनी पसंद और सर्वे के आधार पर कमलनाथ ने ही टिकट दिया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने तो सिर्फ उम्मीदवार घोषित करने की औपचारिकता की है। दमोह के उप चुनाव में कमलनाथ के नेतृत्व की भी एक और परीक्षा होना है। कमलनाथ, मप्र कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष होने के साथ-साथ पार्टी विधायक दल के नेता हैं। कमलनाथ पहली बार मप्र में पूरा समय देकर राजनीति कर रहे हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था। उनके साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी के प्रचार का प्रमुख चेहरा थे। पंद्रह साल बाद कांग्रेस सत्ता मे वापस लौटी। लेकिन,पंद्रह माह भी सरकार नहीं चल सकी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी उपेक्षा के कारण 25 विधायकों के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी।
कमलनाथ के दो पद बने हैं किरकिरी
कमलनाथ का एक साथ दोनों महत्वपूर्ण पद संभालना कांग्रेस की राजनीति में असंतोष का कारण बने हुए हैं। गोडसेवादी पार्टी से आए बाबूलाल चौरसिया के प्रवेश के समय असंतोष सामने भी आया था। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने तो तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि बापू हम शर्मिंदा हैं। एक अन्य नेता माणक अग्रवाल को पार्टी से ही बाहर निकाल दिया गया।
एकता का संदेश नहीं दे पाई कांग्रेस
सिंधिया के कांग्रेस पार्टी छोड़कर जाने के बाद राज्य की कांग्रेस राजनीति का केन्द्र कमलनाथ बने हुए हैं। दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, अजय सिंह, कांतिलाल भूरिया और अरूण यादव जैसे कद्दावर चेहरे हाशिए पर दिखाई दे रहे हैं। दमोह विधानसभा उप चुनाव के लिए आयोजित की गई पहली सभा के मंच पर कांग्रेस एकजुट होने का संदेश नहीं दे पाई है। कमलनाथ के अलावा कार्यक्रम में कोई दूसरा बड़ा नेता मौजूद नहीं था। कमलनाथ ने चुनाव की कमान अपने भरोसेमंद समर्थकों को सौंपी है। दो विधायक रवि जोशी और संजय यादव के पास चुनाव संचालन की जिम्मेदारी है।
दमोह की पहली सभा में बड़े नेता नहीं
इस सवाल पर प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा कि वक्त का इंतार करिए। पार्टी अपनी रणनीति के अनुसार चेहरों का उपयोग करेगी। दमोह में सत्रह अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। कांग्रेस उम्मीदवार अजय टंडन सिर मुडाते ही ओलों का शिकार हो गए। पहले तो चुनावी सभा में कमलनाथ टंडन का नाम ही भूल गए। दूसरी अजीब स्थिति उस वक्त बनी जब नामांकन दाखिल कराने में भी कमलनाथ साथ नहीं गए। जबकि चुनावी सभा और नामांकन पत्र दाखिल कराने के लिए ही कमलनाथ दमोह गए थे। मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा तंज करते हुए कहते हैं कि कमलनाथ की उम्र चुनाव प्रचार की नहीं है, उन्हें आराम करना चाहिए।
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