बीजिंग। हाल ही में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की होंडुरास की राष्ट्रपति शिमोरा कास्त्रो के एक समारोह में ताइवानी उपराष्ट्रपति विलियम लाइ चिंग-ते के साथ 30 सेकेंड की बेहद संक्षिप्त बातचीत साझा हितों को लेकर हुई। इससे चीन भड़क गया और उसके अधिकारियों ने ताइवान के साथ किसी भी तरह की आधिकारिक वार्ता न करने की चेतावनी दे डाली है।
दरअसल, ताइवान के मीडिया ने होंडुरास में हुई इस छोटी सी मुलाकात को राजनयिक सफलता के रूप में पेश किया गया। इस संबंध में जब चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता चुनयिंग से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, ताइवान तो चीन का एक प्रांत है और वहां कोई उपराष्ट्रपति नहीं, फिर हैरिस ने क्यों की मुलाकात?
उन्होंने कहा, चीन हमेशा से ताइवान और अमेरिका के बीच किसी भी तरह की आधिकारिक बातचीत का हमेशा विरोध करता रहा है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने चुनयिंग के बयान को प्रमुखता से छापते हुए कहा कि अमेरिका को चीनी रिश्तों का ध्यान रखकर ही अंतरराष्ट्रीय व्यवहार करना चाहिए।
चीन को लेकर नहीं हुई कोई चर्चा : हैरिस
अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने ताइवानी उपराष्ट्रपति से अपनी संक्षिप्त मुलाकात में दोनों देशों के साझा हितों और अवैध प्रवास को रोकने के लिए व्हाइट हाउस के मूल कारणों व रणनीति पर बात की थी। हैरिस ने स्पष्ट किया कि इस दौरान लाइ चिंग-ते के साथ उन्होंने चीन को लेकर कोई चर्चा नहीं की। हालांकि ताइवानी अफसरों ने मीडिया से कहा था कि लाई ने अमेरिका को उसके समर्थन पर धन्यवाद कहा था।
चीनी दूत ने संभावित सैन्य संघर्ष पर चेताया
अमेरिका में चीनी राजदूत किन गैंग ने चेताया है कि ताइवान की आजादी के लिए वाशिंगटन के समर्थन से अमेरिका और चीन के बीच सैन्य संघर्ष हो सकता है। अमेरिकी रेडियो स्टेशन एनपीआर से बोलते हुए किन गैंग ने कहा, बीजिंग इस द्वीप को अपना प्रांत मानता है।
हालांकि ताइवान इस क्षेत्र को लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार वाला देश मानता है। चीनी दूत ने उइगरों के नरसंहार के आरोपों को मनगढ़ंत बताया। यह टिप्पणी तब आई है जब बीजिंग ने ताइवान को अपने कब्जे में लेने के लिए सैन्य बल से इनकार नहीं किया है।
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