भोपाल। मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा है कि केन्द्र की भाजपा सरकार ने महामारी की विभीषिका का फायदा उठाकर किसान विरोधी तीन काले कानून असंवैधानिक तरीके से पास किये। इतना ही नहीं इन किसान विरोधी कानूनों को पास करते हुए केंद्र सरकार ने भारत के संघीय ढांचे को भी आघात पहुंचाया है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 246 की सांतवीं अनुसूची में कृषि और कृषि मंडिया राज्य सरकारों का अधिकार है। मगर चंद पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए राज्यों के अधिकारों का हनन करते हुए किसान विरोधी तीन काले कानूनों का क्रूर प्रहार किसानों पर किया है। उन्होंने कहा कि मैं दृढ़ संकल्पित हूं कि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनते ही किसानों के हित में फैसला लूंगा और इन तीनों काले कानून को मध्यप्रदेश में लागू नहीं होने दूंगा। साथ ही मंडी टैक्स को न्यूनतम स्तर पर लाया जायेगा और मंडियों का दायरा भी बढ़ाया जायेगा।
कमलनाथ ने केन्द्र और प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस काले कानून के जरिये पूंजीपति और कॉर्पोरेट क्षेत्र को लाभ पहुँचाना चाहते है। इसलिए बिना किसानों के भविष्य की सोचे ताबडतोड़ तरीके से प्रदेश में इस कानून को लागू कर दिया गया। लेकिन मैं भाजपा को खुली चेतावनी देता हूँ कि वह किसानों के खिलाफ अमीरों से मिलकर जो साजिशें रच रही है, उसका कांग्रेस पार्टी पुरजोर विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि संसद में जिस आलोकतांत्रिक ढंग से किसान विरोधी पारित कराये गये, वह भाजपा की मंशा को स्पष्ट करते हैं कि वह सीधे-सीधे इनके जरिये किसानों की कीमत पर बड़े घरानों को लाभ पहुंचाना चाहती है। खुद को किसान का बेटा होने का दावा करने वाले शिवराज सिंह चौहान ने इस काले कानून को लागू कर यह बता दिया है कि किसान हितैषी होने का दावा झूठा है। मैं शिवराज को बताना चाहता हूँ कि कांग्रेस सरकार आने के बाद सबसे पहले मेरा निर्णय होगा कि मध्यप्रदेश में यह काला कानून लागू नहीं होने दूँगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ये तीनों काले कानून पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाले हैं। आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन किया है, जिसके जरिये खाद्य पदार्थों की जमाखोरी पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया, इसका मतलब है कि अब व्यापारी असीमित मात्रा में अनाज, दालें, तिलहन, खाद्य तेल प्याज और आलू को इकट्ठा करके रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार 23 प्रकार की फसलों का समर्थन मूल्य घोषित करती है। मगर सिर्फ धान और गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदती है और बहुत सीमित मात्रा में दाल और मोटा अनाज वो भी इसलिए क्योंकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में वितरित करना होता है और आपात स्थिति के लिए संग्रहित करना होता है। सरकार नाम मात्र एक या दो फसलें समर्थन मूल्य पर खरीदती है बाकी की फसलों के लिए किसान बाजार के भरोसे होता है। अगर, बड़े व्यापारी असीमित मात्रा में भंडारण करके रखेंगे और किसानों की फसलों के आने पर उसे बाजार में उतार देंगे तो किसानों की उपज की कीमत जमीन पर आ जाएगी और किसान ओने-पोने दाम में अपनी फसल बेचने पर मजबूर होगा।
कमलनाथ ने कहा है कि भाजपा दोहरी चाल चरित्र और चेहरे की पार्टी है, इसका ज्वलंत उदाहरण किसान विरोधी काले कानून हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुना करने का झूठ 15 साल तक शिवराज सिंह चौहान बोलते रहे। असलियत यह है कि आज हमारे किसानों की आय दोगुनी की बजाय आधी ही रह गयी है। केन्द्र सरकार वर्ष 2015 में आयी शांताकुमार कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की ओर कदम बढ़ा रही है और देश में समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदने के खात्मे की बुनियाद रख रही है। भाजपा शुरू से ही किसान विरोधी रही है। वर्ष 2014 में केन्द्र में सत्ता में आते ही सरकार ने किसानों के हक का भूमि का उचित मुआवजा कानून भी अध्यादेशों के माध्यम से बदलने की कोशिश की थी। मगर कांग्रेस पार्टी ने किसानों के पक्ष में मुखरता से आवाज उठायी और केन्द्र सरकार को उन अध्यादेशों को वापस लेने पर मजबूर किया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्नदाता किसान जो अथक परिश्रम कर अपना पेट काटकर देश के भोजन का प्रबंध करता है। उसे भाजपा षडयंत्र पूर्वक ना केवल कमजोर करने बल्कि उसे कंगाल बनाने में तुली है। कांग्रेस पार्टी संकल्पित है कि वह भाजपा सरकार की इन कोशिशों को न केवल बेनकाब करेंगी बल्कि उसके मनसूबों को सफल नहीं होने देगी। एजेंसी/हिस
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