नई दिल्ली। कमलनाथ के भाजपा प्रवेश को लेकर भारी उथल-पुथल चलती रही। पहले केन्द्रीय नेतृत्व कमलनाथ को भाजपा में प्रवेश देने के लिए सहमत था, लेकिन बाद में प्रदेश नेतृत्व से मिली रिपोर्ट के बाद भाजपा केवल नकुलनाथ को प्रवेश देने पर सहमत हुई और उसमें भी उनके साथ 20 विधायकों को लाने की शर्त थी।
बताया जाता है कि प्रसिद्ध उद्योगपति अडानी की मध्यस्थता से कमलनाथ के भाजपा में प्रवेश का कथानक शुरू हुआ था। इसी कथानक को आगे बढ़ाने के लिए विगत दिनों अचानक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को कमलनाथ से मिलने का संदेश मिला था और वे एक कार्यक्रम को छोडक़र गुप्त मीटिंग करने पहुंचे थे। इसके बाद कमलनाथ पूरी तैयारी के साथ अपने बेटे नकुलनाथ को लेकर दिल्ली पहुंचे। पूरी तैयारी थी कि कमलनाथ कई विधायकों और नेताओं को लेकर भाजपा में प्रवेश करेंगे, लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व ने जब प्रदेश के नेताओं से चर्चा की तो पता चला कि कमलनाथ पर सिख विरोधी होने का आरोप है। साथ ही उनके आने से पार्टी को कोई फायदा नहीं होगा, तब भाजपा केवल नकुलनाथ को कम से कम 20 विधायकों के साथ प्रवेश देने पर सहमत हुई। अपने राजनीतिक भविष्य को दांव पर लगता देख कमलनाथ ने पैंतरा बदला और कांग्रेस की निष्ठा के गीत गाने लगे।
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