नई दिल्ली। आषाढ़ माह की कालाष्टमी (Ashadha Kalashtami) आज है. इस दिन काल भैरव की पूजा का विशेष महत्व है. भगवान भैरव (Lord Bhairav) को शिव जी का रौद्र रूप माना जाता है. भगवान भैरव को कई रूपों में पूजा जाता है. मान्यता के अनुसार, शनि और राहु की बाधाओं से मुक्ति के लिए भगवान भैरव की पूजा (Worship) अचूक होती है. काल भैरव का स्वरूप भयानक जरूर है लेकिन सच्चे मन से जो भी इनकी उपासना करता है उसकी सुरक्षा का भार स्वयं उठाते हैं. वह अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं(all wishes) पूरी करते हैं. आइए जानते हैं काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए क्या करें और क्या नहीं.
काल भैरव की कृपा पाने के लिए क्या करें:
शिव और शाक्त दोनों संप्रदायों में भगवान भैरव की पूजा महत्वपूर्ण मानी गई है. इस दिन बिल्बपत्र पर लाल या सफ़ेद चंदन से ‘ॐ नमः शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. ध्यान रहे पूजा के समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो.
भगवान कालभैरव का वाहन कुत्ता है, इसलिए भैरव का वरदान पाने के लिए इस दिन काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं. इससे जीवन में आ रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है.
भैरव अर्थात भय से रक्षा करने वाला. ऐसे में नकारात्मक शक्तियों और बुरी बला से छुटकारा पाने के लिए इस दिन ॐ कालभैरवाय नम: का जप एवं कालभैरवाष्टक का पाठ करना चाहिए.
कालभैरव की पूजा करने से ग्रह बाधा और शत्रु बाधा दोनों से ही मुक्ति मिलती है. कालाष्टमी के दिन से भगवान भैरव की प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए.
क्या न करें
भैरव बाबा दो स्वरूप में पूजे जाते हैं. काल भैरव और बटुक भैरव. गृहस्थ व्यक्ति को भगवान भैरव की तामसिक पूजा नहीं करनी चाहिए. मान्यता है कि ऐसे लोगों को भैरव बाबा के सौम्य स्वरूप यानी की बटुक भैरव की पूजा करनी चाहिए.
इस दिन किसी का अहित करने के उद्देश्य से कालभैरव की पूजा कभी न करें, क्योंकि आज आप किसी का बुरा होने की कामना करते हैं तो भ तो भविष्य में काल भैरव के क्रोध का परिणाम आपको भी मिल सकता है.
विशेष तौर पर इस दिन किसी भी कुत्ते, गाय, आदि जानवर के साथ गलत व्यवहार और हिंसक व्यवहार ना करें.
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं हम इसकी जांच का दावा नही करते हैं. कोई भी सवाल हो तो विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
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