लखनऊ । आजादी की लड़ाई के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों ने 9 अगस्त 1925 में सहारनपुर (Saharanpur) से लखनऊ (Lucknow) जा रही ट्रेन (Train) को काकोरी में लूट लिया था। तभी से इसे काकोरी कांड (“Kakori Kand”) के नाम से जाना गया। अब उत्तरप्रदेश चुनाव से पहले काकोरी कांड के सालगिरह के अवसर पर योगी सरकार (Yogi government) ने इसका नाम बदलते हुए (changed the name) काकोरी ट्रेन एक्शन (“Kakori Train Action”) कर दिया।
काकोरी में होने वाले समारोह को लेकर उत्तरप्रदेश सरकार की तरफ से जो विज्ञापन दिया गया उसमें भी काकोरी ट्रेन एक्शन ही लिखा गया। उत्तरप्रदेश सरकार ने काकोरी कांड नाम को अपमानजनक मानते हुए इसका नाम बदल दिया। सोमवार को काकोरी स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि काकोरी एक्शन की कहानी हमें सदैव इस बात का एहसास कराती है कि देश की स्वाधीनता से बढ़कर कुछ नहीं। हर भारतीय का यह दायित्व है कि हम देश की इस आजादी को हर हाल में सुरक्षित रखें।
योगी आदित्यनाथ ने स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए कहा कि काकोरी ट्रेन एक्शन की घटना में क्रांतिकारियों के हाथ केवल 4,600 रुपए लगे थे लेकिन अंग्रेजों ने इस पूरे घटना से जुड़े सभी क्रांतिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में 10 लाख खर्च किए थे। साथ ही उन्होंने कहा कि अब दुनिया को एहसास कराने की आवश्यकता है कि 136 करोड़ की आबादी का भारत किसी भी प्रकार के जाति, मजहब, क्षेत्र, भाषा या अन्य भेदों से ऊपर उठकर केवल अपने एक धर्म के साथ जुड़ा है और वह है हमारा ‘राष्ट्रधर्म।
क्या है काकोरी ट्रेन एक्शन: जब 1922 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस लिया तो युवा क्रांतिकारियों को काफी झटका लगा। गांधी जी के इस फैसले से निराश कुछ युवकों ने एक पार्टी का गठन किया। जिसमें भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और रामप्रसाद बिस्मिल जैसे युवा क्रांतिकारी शामिल हुए। इन युवाओं का मानना था कि भारत की आजादी के लिए हथियार उठाने पड़ेंगे।
हथियार खरीदने के लिए पैसों की जरूरत थी। इसलिए युवा क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के सरकारी खजाने को लूटने का निर्णय किया। जिसके बाद 9 अगस्त 1925 को सहारनपुर से लखनऊ की ओर जा रही ट्रेन को निशाना बनाया गया। इस ट्रेन को काकोरी स्टेशन पर रोका गया और लूटा गया। क्रांतिकारियों के हाथ केवल 4,600 रुपए की रकम आई।
इस घटना से ब्रिटिश सरकार में हड़कंप मच गया। ब्रिटिश शासन ने करीब 40 लोगों को गिरफ्तार किया राम प्रसाद बिस्मिल समेत 4 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई। कईयों को 14 साल तक की सजा दी गई। पुलिस काकोरी कांड के आरोप में चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तार नहीं कर पाई और बाद में वे इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद हो गए।
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