नई दिल्ली। भारत और चीन (India and China) के बीच चार साल से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध (Border standoff) के बाद अब संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में बड़ी पहल देखी जा रही है। कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) को एक बार फिर से शुरू करने को लेकर दोनों देशों के बीच समझौता लगभग तय माना जा रहा है। दोनों पक्षों के बीच डेमचोक और डेपसांग (Demchok and Depsang) जैसे शेष विवादित बिंदुओं पर सैनिकों की विसंगति हटाने को लेकर पिछले साल अक्टूबर में समझौता हुआ था। उसी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) की मुलाकात रूस के कजान शहर में हुई, जिसमें सीमा विवाद को सुलझाने और द्विपक्षीय संबंध सामान्य करने के लिए कई तंत्रों को पुनर्जीवित करने पर सहमति बनी।
कैलाश यात्रा पर बनी सहमति
इसी प्रक्रिया के तहत दिसंबर 2023 में बीजिंग में आयोजित एक बैठक में सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधियों की तैनाती, सीमा पार नदियों के आंकड़ों की साझेदारी और सीमा व्यापार के साथ-साथ कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई थी। सूत्रों के अनुसार, अब दोनों पक्ष इस यात्रा को फिर से शुरू करने को लेकर लगभग सहमत हो चुके हैं। हालांकि इस बार यात्रा सामान्य समय से थोड़ी देर से शुरू हो सकती है और थोड़ी देर तक चल सकती है, क्योंकि चीन को तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं का नवीनीकरण करने के लिए समय चाहिए, जो पिछले लगभग पांच वर्षों से उपयोग में नहीं आ रही थीं।
2020 से बंद थी यात्रा
कोविड-19 महामारी और एलएसी पर तनाव के कारण 2020 से कैलाश मानसरोवर यात्रा स्थगित कर दी गई थी। यह यात्रा भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा हर साल जून से सितंबर के बीच आयोजित की जाती है, जिसमें दो मार्गों (लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) और नाथू ला (सिक्किम)) से श्रद्धालु यात्रा करते हैं। यह स्थान हिंदू, जैन और बौद्ध धर्मों के लिए अत्यधिक पवित्र माना जाता है।
संबंध सुधार की दिशा में संकेत
यदि यात्रा इस साल फिर से शुरू होती है, तो यह भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक बड़ा और सकारात्मक संकेत होगा। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के रिश्ते बेहद निचले स्तर पर पहुंच गए थे, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे और कम से कम चार चीनी सैनिकों की मौत हुई थी।
अब चीन ने भारत से सीधी उड़ानों को बहाल करने, चीनी नागरिकों के लिए वीजा नियमों में ढील और दोनों देशों में पत्रकारों की मौजूदगी बढ़ाने की मांग की है। फिलहाल बीजिंग में सिर्फ एक भारतीय पत्रकार है जबकि नई दिल्ली में कोई चीनी सरकारी मीडिया प्रतिनिधि नहीं है।
कूटनीतिक स्तर पर क्या कहा गया?
हाल ही में भारत-चीन कूटनीतिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में चीनी राजदूत शू फेइहोंग ने कहा कि दोनों देशों को संवाद के ज़रिए मतभेद सुलझाने चाहिए और सीमा विवाद को द्विपक्षीय संबंधों की परिभाषा नहीं बनने देना चाहिए। वहीं, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने स्पष्ट किया कि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी हाल ही में कहा कि भारत-चीन संबंध अब सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं, लेकिन संबंधों को पूरी तरह सामान्य बनाने के लिए अभी काम बाकी है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved