ग्वालियर। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Minister Jyotiraditya Scindia) ने रविवार को राज घराने का इतिहास (history of the royal family) बदल दिया. उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई की समाधि (Laxmibai’s Samadhi) पर सिर झुकाकर उन्हें नमन किया. 160 साल के इतिहास में ये पहला मौका था जब सिंधिया राज परिवार का मुखिया रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर उन्हें नमन करने गया हो. सिंधिया के इस कदम से उनके आलोचकों को भी करारा जवाब मिल गया. सिंधिया राज परिवार आजादी के बाद से ही राजनेताओं के निशाने पर रहा है, लेकिन ज्योतिरादित्य के इस कदम से वे चारों खाने चित हो गए।
बता दें, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Civil Aviation Minister Jyotiraditya Scindia) ने रविवार को एलिवेटेड रोड की साइट का निरीक्षण किया. उसके बाद वे रानी लक्ष्मीबाई समाधि पर इस प्रोजेक्ट का प्रजेंटेशन देखने पहुंचे थे. यहां पहुंचने के बाद सिंधिया ने प्रजेंटेशन के लिए लगे कैम्प में जाने की बजाए रानी लक्ष्मीबाई की समाधि की तरफ कदम बढ़ाए. सिंधिया को रानी की समाधि पर जाते देख उनके समर्थक प्रद्युम्न सिंह तोमर भी पीछे चल दिए। सिंधिया ने रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर सिर झुकाकर नमन किया. सिंधिया ने समाधि की परिक्रमा की और एक बार फिर से सिर झुकाकर रानी को नमन किया. ये घटना सिंधिया परिवार के लिहाज से ऐतिहासिक है।
सिंधिया परिवार पर खड़े होते रहे सवाल
ऐसी किवदंतियां हैं कि सिंधिया परिवार ने 1857 की क्रांति के दौरान रानी लक्ष्मीबाई का साथ नहीं दिया था. तत्कालीन सिंधिया शासक जयाजी राव सिंधिया को रानी के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था. रानी से हार के बाद जयाजी राव ग्वालियर किला छोड़कर आगरा चले गए थे. बाद में जयाजी राव के लिए अंग्रेज सेना से ग्वालियर में रानी लक्ष्मीबाई से युद्ध लड़ा था. इसमे रानी लक्ष्मीबाई की शहादत हुई थी, उनके शहादत स्थल पर आज रानी लक्ष्मीबाई की समाधि बनी है. सिंधिया परिवार द्वारा रानी के साथ दगाबाजी करने की बातें कई किताबों में लिखी गई हैं. तब से सिंधिया परिवार कई तरह के आरोप झेल रहा है. यही वजह है कि 160 साल के लंबे अरसे में सिंधिया परिवार ने कभी भी वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की शहादत को नमन नहीं किया और न ही उनके समाधि स्थल पर राज परिवार के किसी मुखिया ने कदम रखा।
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