नई दिल्ली (New Delhi) । ज्येष्ठ पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima ) को जेठ पूर्णिमा या जेठ पूर्णमासी भी कहा जाता है. इस तिथि का हिंदू धर्म में बहुत महत्व (importance) है. इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि 3 जून सुबह 11 बजकर 16 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन 4 जून सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर होगा. ऐसे में 3 जून को ही पूर्णिमासी का व्रत रखा जाएगा और दान व स्नान 4 जून को किया जाएगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कुछ खास उपाय करने से परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली (prosperity and happiness) का वास होता है.
पूजा
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर 11 कौड़ियां चढ़ाकर हल्दी से तिलक करना चाहिए. इसके बाद दूसरे दिन इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या धन रखने वाले स्थान में रख देना चाहिए. ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और वह वास करने चली आती हैं.
पीपल का पेड़
ऐसी मान्याता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ में मां लक्ष्मी (maa lakshmi) वास करने आती हैं. ऐसे मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो इस दिन सुबह स्नान के बाद पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से धन की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा.
दान
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा से जुड़ी चीजों का दान करना बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन किसी गरीब, जरूरतमंद या ब्राह्मण को सफेद वस्त्र, शक्कर, चावल, दही, चांदी, सफेद फूल, मोती का दान करना चाहिए. ऐसा जातक की कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है.
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