उज्जैन। राजा विक्रमादित्य की सिंहासन बत्तीसी की खबरें हम बचपन से पढ़ते आए हैं और आज देश में ऐसे न्याय प्रिय शासन की आवश्यकता है। उज्जैन नगर अत्यंत प्राचीन है और विशेष महत्व वाला रहा और इस तरह के राजा और सम्राट रहे। यह बात राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कालिदास संस्कृत अकादमी परिसर स्थित पं.सूर्यनारायण व्यास संकुल सभागृह में विक्रमोत्सव का उद्घाटन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश शासन साधुवाद का पात्र है जिसमें विक्रमादित्य की स्मृति के माध्यम से महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ की स्थापना की है। विक्रम उत्सव इतिहास व संस्कृति को जानने के क्षेत्र में अच्छी शुरुआत है, जो लगातार 17 साल से जारी है। बहुत ही गर्व की बात है कि देश के सामाजिक व सांस्कृतिक वर्ग ने इस समारोह में अपनी विशेष पहचान बनाई है। आज की भावी पीढ़ी और युवाओं को राष्ट्र की धरोहर से परिचित कराना बहुत जरूरी है। राज्यपाल ने कहा कि विक्रमोत्सव एक आयोजन मात्र नहीं है, बल्कि यह भारतीय परम्परा का द्योतक है, जहां हम अपने पूर्वजों का पुण्य स्मरण करते हैं और उनके बताये रास्ते पर चलकर देश को नित-नई ऊंचाई तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि आज की पीढ़ी के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे स्वतंत्रता में अपना योगदान देने वाले लोगों से हम नई पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम से रूबरू करवाने का प्रयास किया जाये। नई पीढ़ी तक यह बात जरूर पहुंचे कि हमारी आजादी का स्वतंत्रता संघर्ष कैसा था और पूर्वजों ने आजादी के लिये अपना सर्वस्व न्यौछावर किया है, इस बात से नई पीढ़ी को रूबरू करवाना चाहिए। विक्रमादित्य जैसे महान सम्राट राजा के जीवन से प्रेरणा लेकर समाज को मजबूत और उसकी रक्षा करना हमारा सबका कर्तव्य होना चाहिए। इस अवसर पर विधायक एवं पूर्व मंत्री पारस जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह आयोजन राष्ट्रीय एकता के लिये जरूरी है। उन्होंने कहा कि विक्रम कीर्ति मन्दिर के समीप बिड़ला भवन में चित्र प्रदर्शनी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी को प्रतिदिन स्कूली बच्चों को दिखाने ले जाएं। इससे उन्हें ज्ञात होगा कि हमारे वीर पुरुष कौन थे। इस अवसर पर विक्रमादित्य शोध पीठ द्वारा प्रकाशित शोध ग्रंथों का लोकार्पण राज्यपाल ने किया। विमोचित होने वाले ग्रंथों में विक्रम स्मृति ग्रंथ (हिन्दी, इंग्लिश एवं मराठी), डॉ.घनश्याम पाण्डेय द्वारा रचित दुनिया के पहले ज्ञात गणितज्ञ महात्मा लगध पर केन्द्रित हिंदी उपन्यास लग्न, डॉ.भगवतीलाल राजपुरोहित के संवत् प्रवर्तक विक्रमादित्य व डॉ.जगन्नाथ दुबे की पुस्तक मालवा जनपद की मुद्राएँ हैं। समारोह के आरम्भ में विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्री श्रीराम तिवारी व उज्जैन उत्तर के व विधायक पारस जैन ने राज्यपाल की अगवानी की। निदेशक श्री श्रीराम तिवारी ने अतिथियों का स्वागत किया। मंच पर श्री पारस जैन, विधायक उत्तर उज्जैन, अखिलेश पाण्डेय कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय, डॉ.विजय कुमार पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय एवं शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी विराजमान थे। श्री तिवारी ने अपने उद्बोधन में शोध पीठ की गतिविधियों एवं नौ दिवसीय विक्रमोत्सव के कार्यक्रमों से अवगत कराया। विक्रमोत्सव 2022 की पहली शाम यक्ष गान शैली में उडिपी कर्नाटक के नाट्य समूह ने पृथ्वीराज कवट्टर के निर्देशन में नाटक विक्रमार्क की प्रस्तुती दी। उक्त प्रस्तुती को राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल के साथ अन्य अतिथियों ने देखा। कार्यक्रम के प्रारम्भ में राज्यपाल एवं अन्य अतिथियों ने मां वाग्देवी एवं राजा विक्रमादित्य के चित्र के समक्ष दीप-दीपन किया। इस अवसर पर पं.चन्दन व्यास के निर्देशन में बटुकों के द्वारा मंगलाचरण किया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम राष्ट्रगान हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ.शैलेन्द्र शर्मा ने किया और अन्त में आभार विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति श्री अखिलेश कुमार पाण्डेय ने प्रकट किया और उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें निर्देशित किया है कि अब जब भी दीक्षान्त समारोह हो तो वह गुड़ी पड़वा पर्व पर किया जाये। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस अवसर पर श्री विवेक जोशी, श्री रूप पमनानी, कलेक्टर श्री आशीष सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री सत्येन्द्र कुमार शुक्ल, विक्रम विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ.प्रशांत पौराणिक, डॉ.रमणसिंह सोलंकी, श्री राजशेखर व्यास आदि विद्वजन उपस्थित थे। नौ दिवसीय विक्रमोत्सव कार्यक्रम के अन्तर्गत आज शनिवार 26 मार्च को शाम 7 बजे से श्री गिरीश मोहंता भोपाल के निर्देशन में सिंहासन बत्तीसी का कार्यक्रम पं.सूर्यनारायण व्यास संकुल कालिदास अकादमी परिसर में आयोजित होगा।
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