नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के अगले मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) बनने जा रहे न्यायमूर्ति बीआर गवई (Justice BR Gavai) शीर्ष अदालत में कई संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं। इन पीठों ने अनुच्छेद 370, नोटबंदी, अनुसूचित जातियों के अंदर उप-वर्गीकरण समेत कई अन्य मसलों पर अहम फैसले सुनाए हैं। न्यायमूर्ति गवई पांच न्यायाधीशों वाली उस संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने दिसंबर 2023 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखा था।
पांच न्यायाधीशों की एक अन्य संविधान पीठ ने राजनीतिक वित्तपोषण के लिए चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था। न्यायमूर्ति गवई उस पीठ में भी शामिल थे। वह उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने 4:1 के बहुमत से केंद्र के 2016 के 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को चलन से बंद करने के फैसले को मंजूरी दी थी।
सात न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ का हिस्सा थे जिसने 6:1 के बहुमत से माना था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों के उत्थान के लिए आरक्षण दिया जा सके जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं।
बुलडोजर एक्ट पर दिशा-निर्देश
न्यायमूर्ति गवई सहित सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया था कि पक्षों के बीच बिना मुहर लगे या अपर्याप्त रूप से मुहर लगे समझौते में मध्यस्थता खंड लागू करने योग्य है। क्योंकि इस तरह के दोष को ठीक किया जा सकता है और यह अनुबंध को अवैध नहीं बनाता है। जस्टिस गवई के नेतृत्व वाली पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में देश भर के लिए दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि था कि कारण बताओ नोटिस दिए बिना किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए।
जस्टिस गवई का पारिवारिक जीवन
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर, 1960 को अमरावती में हुआ। 16 मार्च, 1985 को वह अधिवक्ता के रूप में बार में शामिल हुए और 1987 तक उन्होंने पूर्व महाधिवक्ता और हाईकोर्ट के न्यायाधीश बार राजा एस भोंसले के साथ काम किया। इसके बाद 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र रूप से वकालत की। जस्टिस गवई दिवंगत आरएस गवई के बेटे हैं, जो बिहार-केरल के राज्यपाल रह चुके हैं।
देश के दूसरे मुख्य न्यायाधीश होंगे जस्टिस गवई
जस्टिस बीआर गवई देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे। वह 14 मई को चीफ जस्टिस के पद की शपथ लेंगे। मौजूदा मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर होंगे और अगले ही दिन जस्टिस गवई पदभार संभालेंगे। वह देश के दूसरे दलित चीफ जस्टिस होंगे। उसने पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन भी मुख्य न्यायाधीश रहे हैं, जो अनुसूचित जाति वर्ग के थे। मौजूदा चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने बुधवार को जस्टिस बीआर गवई के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी। जस्टिस गवई का पूरा नाम भूषण रामकृष्ण गवई है। चीफ जस्टिस खन्ना के बाद वह सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज हैं। वह देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश होंगे।
जस्टिस गवई का 6 महीने का कार्यकाल होगा और वह 23 नवंबर, 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। वह मई 2019 में ही सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे और संयोग है कि इसी महीने में शीर्ष अदालत के चीफ जस्टिस हो जाएंगे। बीते साल 11 नवंबर को सीजेआई खन्ना ने पदभार संभाला था। उन्होंने केंद्रीय कानून मंत्रालय के समक्ष जस्टिस बीआर गवई के नाम की सिफारिश भेजी है। सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए रिटायरमेंट की उम्र 70 साल है। महाराष्ट्र के अमरावती जिले में जस्टिस बीआर गवई का जन्म 24 नवंबर, 1960 को हुआ था। वह बॉम्बे हाई कोर्ट का हिस्सा 14 नवंबर 2003 को बने थे, जब उन्हें अतिरिक्त जज की जिम्मेदारी मिली थी।
इसके बाद नवंबर 2005 में ही वह हाई कोर्ट के स्थायी जज बन गए थे। जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं। इसके अलावा कई संवैधानिक बेचों में उन्हें शामिल किया गया है। आर्टिकल 370 हटाए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की जिस 5 मेंबर वाली संवैधानिक बेंच ने सुनवाई की थी, उसका एक हिस्सा जस्टिस गवई भी थे। इसके अलावा राजनीतिक फंडिंग के लिए लाई गई इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को खारिज करने वाली बेंच का भी वह हिस्सा थे। यही नहीं नोटबंदी के खिलाफ दायर अर्जियों पर सुनवाई करने वाली बेंच में भी वह शामिल थे।
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