नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी, जिसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. चुनावी साल होने के चलते राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा से राजनीति में भी गरमी बढ़ेगी और यह बीजेपी की भी एनर्जी बढ़ाएगी. लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है तो बीजेपी बिहार में महागठबंधन को मात का तानाबाना बुन रही है. सीएम नीतीश कुमार ने जिस लव-कुश फॉर्मूले से लालू प्रसाद यादव की अगुवाई वाली आरजेडी से सत्ता छीनी थी, अब बीजेपी ने उसी लव-कुश समीकरण के जरिए जेडीयू की राजनीतिक जमीन कब्जाने का प्लान बनाया है. नीतीश ने जिसे सामाजिक न्याय का रंग दिया था, बीजेपी ने उसे हिंदुत्व के स्वरूप में ढ़ालकर जेडीयू के साथ खेला करने की स्टैटेजी बनाई है.
बिहार में बीजेपी 2 जनवरी से लव-कुश यात्रा निकाल रही है. ‘सबके सिया, सबके राम’ स्लोगन के साथ निकलने वाली इस रथयात्रा की शुरुआत पटना स्थित भाजपा कार्यालय से होगी. इसकी घोषणा करते हुए भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सरोज रंजन पटेल ने गुरुवार को कहा कि दो जनवरी को इस रथयात्रा को प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे. उन्होंने कहा कि 500 साल के लंबे संघर्ष और कई लोगों के बलिदान के बाद भगवान श्रीराम भव्य मंदिर में पहुंच रहे हैं, आज लव-कुश समाज कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए इस रथयात्रा का आयोजन कर रही है. यह रथयात्रा बिहार के सभी 38 जिलों से होते हुए बक्सर के रास्ते अयोध्या पहुंचेगी. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दिन ही लव-कुश यात्रा आयोध्या पहुंचेगी.
बता दें कि बिहार की सियासत आज भी जाति के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. बिहार की राजनीति में साढ़े तीन दशक से भले ही से सत्ता की बागडोर पिछड़ों के हाथ में है, लेकिन लंबे समय तक अगड़ों ने ही राज किया है. आजादी से पहले ही बिहार में अगड़ों के खिलाफ त्रिवेणी संघ बना था, जिसे कुशवाहा, कुर्मी और यदुवंशियों ने मिलकर बनाया था. लालू यादव यादव-मुस्लिम और ओबीसी समीकरण के जरिए सत्ता पर काबिज हुए तो नीतीश कुमार ने कुर्मी और कुशवाहा समीकरण के जरिए जड़ें जमाईं. नीतीश ने पटना के गांधी मैदान में कुर्मी और कोइरी समुदाय की बड़ी रैली की थी, जिसका उन्होंने लव-कुश नाम दिया था. यह पहली बार था जब नीतीश कुमार ने लालू यादव के सामने खुद को स्थापित करने के लिए लव-कुश दांव चला था. इस फॉर्मूले के जरिए नीतीश ने 2005 में बिहार की सत्ता की कमान संभाली और अभी तक काबिज हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लव-कुश यानि कुशवाहा-कुर्मी समीकरण के सहारे खुद को सत्ता के करीब रखा है, लेकिन इस समीकरण में लव (कुर्मी) को जबरदस्त फायदा मिला तो कुश (कुशवाहा) समाज में नाराजगी दिखी. कुशवाहा समाज के लोगों में इस बात को लेकर हमेशा टीस रही कि 2.5 प्रतिशत संख्या वाले ने किसी तरह 6 फीसदी वालों पर इमोशनल शोषण कर सीएम की कुर्सी हासिल कर ली. इसके चलते ही उपेंद्र कुशवाहा खुद को स्थापित करने का दांव चल चुके हैं, लेकिन सफल नहीं हो सके. एनडीए से दूसरी बार नीतीश के अलग होने के बाद से बीजेपी लव-कुश फार्मूले को लेकर जेडीयू की सियासी जमीन को कब्जाने की कोशिश में जुटी है. इसके चलते ही कुशवाहा समुदाय से आने वाले सम्राट चौधरी को बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी है तो नीतीश के राइट हैंड माने जाने वाले कुर्मी समाज से आने वाले आरसीपी सिंह को अपने साथ जोड़ा है.
बीजेपी बिहार में लव-कुश फार्मूले को जमीन पर उतारने के लिए लगातार प्रयास कर रही है और अब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है तो लव-कुश फार्मूले को हिंदुत्त्व से जोड़ने का प्लान बनाया है. भगवान राम के दो पुत्र थे, एक पुत्र का नाम लव और दूसरे का कुश था. कोइरी समाज खुद को भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज होने का दावा करते हैं जबकि कुर्मी समुदाय खुद को कुश के भाई लव के वंश के होने की बात करते हैं. ऐसे में अयोध्या में जब जब राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है और रामलला अपने गर्भ गृह में विराजमान होने जा रहे हैं तो बिहार बीजेपी लव-कुश यात्रा निकालकर सियासी समीकरण दुरुस्त करने का दांव चल रही है.
बीजेपी की लव-कुश यात्रा सीधे-सीधे नीतीश कुमार के वोट बैंक में सेंधमारी के लिए निकालने जाने वाली मानी जा रही है. बीजेपी अयोध्या मंदिर के उद्घाटन के पहले बिहार को राममय करने की रणनीति के तहत लवकुश रथ के सहारे सबके सिया, सबके राम स्लोगन के साथ अपने वोट बैंक को आक्रामक बनाएगी. साथ ही साथ नए वोट बैंक भी तैयार करेगी. वैसे भाजपा का मूल निशाना नीतीश कुमार के वोट बैंक को साधना है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के करीबी और प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष सरोज रंजन पटेल इस लवकुश रथ के मुख्य सारथी बनेंगे. पटेल एक खास रणनीति के तहत कहते भी हैं कि 500 साल के लंबे संघर्ष और कई लोगों के बलिदान के बाद भगवान राम भव्य मंदिर में पहुंच रहे हैं. आज लव-कुश समाज कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए इस रथ यात्रा का आयोजन कर रही है.
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