नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से ठीक पहले जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने भाजपा के साथ एक बार फिर हाथ मिला लिया है। लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ नीतीश का संबंध खत्म करना विपक्षी INDIA गठबंधन और कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है।
कांग्रेस पार्टी इस समय राहुल गांधी के नेतृत्व में गठबंधन में शामिल अन्य दलों के साथ ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ चला रही है। लेकिन पार्टी खुद अपने ही खेमे में हो रही टूट रोकने में असफल दिखाई दी है। पहले कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने झटका दिया फिर पंजाब में भगवंत मान ने। लेकिन बिहार में नीतीश कुमार ने तो एक तरह से गठबंधन की नींव हिला दी है।
रविवार को इस्तीफा सौंपने के बाद नीतीश कुमार ने राजद के साथ गठबंधन के साथ INDIA गठबंधन पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर हालात अच्छे नहीं थे। INDIA गठबंधन को लेकर नीतीश कुमार ने कहा कि इसमें कोई भी काम नहीं कर रहा था। बता दें, 40 लोकसभा सीटों वाले बिहार को राजनीतिक रूप से बहुत अहम माना जाता है।
नीतीश कुमार के इस्तीफा देने के थोड़ी देर बाद ही जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कांग्रेस पर हमला शुरू कर दिया। त्यागी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस INDIA गठबंधन को हाईजैक करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने दावा किया कि इसी वजह से जदयू को गठबंधन से अलग होने के लिए मजबूर होना पड़ा जबकि विपक्षी दलों को एकसाथ लाने वाले नीतीश कुमार ही थे।
त्यागी ने यह भी कहा कि कांग्रेस अपने सर्वाइवल के लिए लड़ रही है। अब यह क्षेत्रीय दलों को खत्म करना चाहती है। सियासी बयानबाजी को छोड़ भी दें तो भी एक बात साफ है कि INDIA से जदयू के बाहर जाने से कांग्रेस बैकफुट पर आ जाएगी। क्षेत्रीय दल बिहार के घटनाक्रम को सीट बंटवारे की बातचीत में इस्तेमाल कर सकते हैं और ज्यादा सीटों की मांग कर सकते हैं।
वहीं, नीतीश के इस कदम को लेकर कांग्रेस की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि राजनीति में ‘आया राम, गया राम’ जैसे बहुत हैं और हमें पता था कि ऐसा होगा। एक दिन पहले शनिवार को कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा था कि नीतीश अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं। कांग्रेस को पूरे देश में अकेले चुनाव लड़ना चाहिए।
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