भोपाल। प्रदेश में अब एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं का विनिर्माण, आयात, भंडारण, वितरण और विक्रय भी पूरी तरह से प्रतिबंधित हो किया जाएगा। इसमें प्लास्टिक स्टिक वाली इयर-बड्स, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की डंडियां, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम की डंडियां, पॉलीस्टाइरीन (थर्माकॉल) की सजावटी सामग्री, कप-प्लेट, गिलास, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बे, आमंत्रण-पत्र, सिगरेट पैकेट को पैक करने वाली रेपिंग फिल्म, 100 माइक्रॉन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक या पीवीसी बेनर और स्टिरर्स का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। प्लास्टिक के कैरी बैग की मोटाई 30 सितंबर 2021 से 50 माइक्रॉन से बढ़ाकर 75 माइक्रॉन कर दी गई थी, जो 31 दिसंबर 2022 से 120 माइक्रॉन हो जाएगी। ऐसी सभी तरह की सिंगल यूज प्लास्टिक, जो उपयोगी कम है लेकिन कचरे के रूप से लंबे समय तक रहती हैं, के साथ पॉलिस्टाइरीन और विस्तारित पॉलिस्टाइरीन को प्रतिबंधित किया जा रहा है। केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को विस्तृत कार्य-योजना बनाकर बनाने के निर्देश दिए हैं।
प्लास्टिक के कारण होने वाले रोग
शरीर को पहुंचाता है नुकसान
आपको जानकारी के लिए बता दें कि प्लास्टिक के इस्तेमाल से सीसा, कैडमियम और पारा जैसे रसायन सीधे मानव शरीर के संपर्क में आते हैं। ये जहरीले पदार्थ कैंसर, जन्मजात विकलांगता, इम्यून सिस्टम और बचपन में बच्चों के विकास को प्रभावित कर सकते है। प्लास्टिक की पानी की बोतलों या खाद्य पैकेजिंग सामग्री में बीपीए या स्वास्थ्य-बिस्फेनॉल-ए जैसे अन्य विषाक्त पदार्थ पाए जाते हैं। बीपीए जब शरीर में प्रवेश करता है, तो यह हमारे शरीर को कुछ गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। बीपीए थायराइड हार्मोन रिसेप्टर को कम कर सकता है जिससे हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है। प्लास्टिक हमारी सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है जिससे हम सब अंजान है। प्लास्टिक के कारण हम कई गंभीर बीमारियों से पीडि़त है।
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