खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले, ख़ुदा बंदे से खुद पूछे कि बता तेरी रज़ा क्या है। जुगल किशोर शर्मा का नाम आज किसी तार्रुफ़ का मोहताज नहीं है। बीस बरस की सहाफत (पत्रकारिता) में जुगल ने इस पेशे के उस उरूज को छुआ जहां पहुंचना हर सहाफी का ख्वाब होता है। इस वक्फे में सी-टीवी, भास्कर टीवी होते हुए ये बन्दा बंसल न्यूज़ पहुंचा और तकरीबन बारह बरस की लंबी पारी खेली। बतौर सहाफी (पत्रकार) भाई के पुलिस, एडमिनिस्ट्रेशन, सरकार और सियासी पार्टियों में भेतरीन राब्ते हो गए। बंसल में इंन्ने ब्यूरो चीफ तक का सफर तय कर खबरों की दुनिया मे अलग मुकाम बनाया। लेकिन अब जुगल किशोर शर्मा का प्रोफाइल एकदम बदल गया है। वैसे इन जैसी नजीरें कम ही मिलेंगी, जब सहाफत के ग्लैमरस उरूज पे रेते हुए कोई पत्रकार अपना किरदार बदले। जुगल अब एक्टिव जर्नलिज़म छोड़ के भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बीडी शर्मा साब के मीडिया सलाहकार के किरदार में लपक काम कर रय हेंगे। गोया के खबरिया चेनल में खबरों से खेलने, डेड लाइन्स पे काम करने, नेता, अभिनेताओं की बाइट्स के लिए दिन रात भागने के इनके दिन अब हवा हुए। अब तो इन सूबे के हाइप्रोफाइल नेता बीडी शर्मा साब के लिए मीडिया सलाहकार की अहम जि़म्मेदारी निभानी है। गुजिश्ता एक साल ये ये इस काम को पूरी मुस्तेदी से निभा रहे हैं। ये तो आप जानतेई हो के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की अहमियत सीएम के बाद नंबर दो की रेती हेगी। लिहाज़ा मीडिया सलाहकार का काम भोत बारीक और जवाबदारी वाला होता है। हर सियासी टॉपिक, हर गरम मुद्दे को दिमाग मे रखना होता है। कहीं चूक गए या पिछड़ गए तो मामला बिगड़ सकता है।
बतौर मीडिया सलाहकार जुगल का काम प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और पत्रकारों के बीच एक पुल का काम करना है। अब चूंकि ये खुद भन्नाट और सीनियर सहाफी (पत्रकार) रहे हैं तो उस पेशे की हर बारीकबीनी से वाकिफ हैं। खासतौर से किसी बड़े नेता से राब्ता करने में रिपोर्टरों को केसी केसी दिक्कतें आती हैं, वो इनसे बेहतर कौन समझ सकता है। लिहाज़ा मीडिया सलाहकार के अपने नए किरदार में जुगल पूरे प्रोफशनल और हाईटेक अंदाज़ में जुट गए हैं। निहायत नफीस, नम्र विनम्र तो ये पहले से ही थे। अभी भी इंन्ने अपना लोप्रोफाइल अंदाज़ क़ायम रखा हुआ है। मकसद ये के सत्ताधारी पार्टी के करीबी होने का कोई मुगालता इंन्ने नईं पाला। चूंकि ये खुद फील्ड में रिपोर्टर रहे हैं लिहाज़ा न्यूज़ चैनलों पे ख़बरों की टाइमिंग, डेड लाइन्स और प्रोफेशनल चटकी को बखूबी समझते हैं। इनकी खासियत ये है कि जुगल ने बड़े और छोटे चेनल या बड़े या छोटे पत्रकार का कोई फर्क नही किया। इनकी कोशिश रहती है कि ज़रुरत पडऩे पर ये प्रदेश अध्यक्ष की मुलाकात पत्रकारों से करा दें। किसी विशेष मुद्दे पे नेता की बाइट्स के लिए इनके रहते न्यूज़ चैनलों को परेशान नहीं होना पड़ता। जुगल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के हर दौरे में उनके साथ रहते हैं।लिहाज़ा भोपाल से बाहर उनके किसी अहम बयान की क्लिपिंग तुरत फुरत मुहैया करा दी जाती है। जुगल किशोर शर्मा कभी खुद को प्रोजेक्ट नहीं करते। ये न कभी किसी फोटो में नजऱ आएंगे, न कभी खुद कोई बयान देंगे न बाइट देंगे। इसके बरक्स ये प्रदेश अध्यक्ष और मीडिया के बीच उम्दा कॉर्डिनेशन की जि़म्मेदारी भर निभाते हैं। बीडी शर्मा साब के चार इमली वाले बंगले पे जुगल किशोर शर्मा का आफिस भी है। इनके पास पूरे सूबे के हर अहम पत्रकार के नाम नंबरों की लिस्ट है। साथ ही मुल्क के हर छोटे बड़े न्यूज़ चैनल और अखबारनवीसों का पूरा शजरा ये अपने पास रखते हैं। गोया के ज़रूरी होने पे ये 15 मिनट के नोटिस पे नेताजी की पीसी भी करवा सकते हैं। इस ओहदे पे सबको जानने और समझने वाले पत्रकार के बैठने से सहाफियों को बहुत आसानी हो गई है। भोत उम्दा कर रय हो जुगल भाई… इस काम से सहाफत के साथ ही आपको सियासत में भी अलहदा पेचान मिल लई हेगी।