नई दिल्ली । भारत (India) के सबसे बड़े बिजनेस घरानों में से एक टाटा परिवार (Tata family) में जन्मे जहांगीर, प्रसिद्ध व्यवसायी रतनजी दादाभाई टाटा (Ratanji Dadabhai Tata) और सुज़ैन ब्रिएरे (Suzanne Briere) के पुत्र थे. उनकी मां कार चलाने वाली भारत की पहली महिला थीं और 1929 में वह खुद भारत के पहले लाइसेंस प्राप्त पायलट बने. जहांगीर रतनजी टाटा या JRD, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा मोटर्स, टाइटन इंडस्ट्रीज, टाटा साल्ट, वोल्टास और एयर इंडिया (Air India) सहित टाटा समूह (Tata Group) के उद्योगों के संस्थापक होने के लिए भी जाने जाते हैं. 1983 में, उन्हें फ्रेंच लीजन ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया और 1955 और 1992 में, उन्हें भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण और भारत रत्न मिले. ये सम्मान उन्हें भारतीय उद्योग में उनके योगदान के लिए दिए गए हैं.
15 साल की उम्र में देखा था सपना
JRD Tata ने देश की पहली एयरलाइंस Tata Air Service की शुरुआत की जो बाद में Air India बन गई. एयरलाइंस की पहली फ्लाइट खुद JRD Tata ने उड़ाई थी. उन्हें 10 फरवरी 1929 को भारत का पहला कॉमर्शियल एविएटर सर्टिफिकेट दिया गया था. उन्होंने 15 साल की उम्र में इसका सपना देखा था. फ्रांस में रहते हुए वह अपने पड़ोसी और कॉमर्शियल पायलट लुईस से प्रभावित हुए थे. तभी से उन्होंने पायलट बनने का फैसला कर लिया था. उनकी कामयाबी से ही देश में पहली एयरलाइंस की शुरुआत की नींव पड़ी.
कैसे बनाया एयर इंडिया?
एयर इंडिया को JRD Tata ने 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से लॉन्च किया था. 1946 में इसका नाम बदलकर एयर इंडिया कर दिया गया. आजादी के बाद 1954 में भारत सरकार ने एयर इंडिया को खरीदकर इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया. इसके बाद घरेलू सेवा के लिए इंडियन एयरलाइंस बनी और विदेश के लिए एयर इंडिया. JRD Tata शुरुआत से कंपनी के चेयरमैन बने रहे.
जब एयर इंडिया से किए गए बाहर
वर्ष 1978 में मोरारजी देसाई सरकार ने अचानक ही उन्हें Air India के चेयरमैन पद से हटने का आदेश दे दिया. वे 1953 से इस पद पर थे. उस समय इंदिरा गांधी सत्ता से बाहर थीं. उन्होंने चिट्ठी लिखकर JRD से दुख जताया था और कहा था कि देश उनकी सेवाओं के लिए हमेशा उनका ऋणी रहेगा. इतना ही नहीं, 1980 में सत्ता में लौटने के बाद इंदिरा गांधी को फिर से इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया के बोर्ड में शामिल किया.
4 देशों से की थी पढ़ाई
JRD Tata ने अपनी पढ़ाई 4 देशों से की थी जिसमें इंग्लैंड, फ्रांस, भारत और जापान शामिल हैं. उनके पास फ्रांस की नागरिकता भी थी जिसके चलते उन्होंने एक वर्ष के लिए फ्रेंच आर्मी की भी सेवा की. वह 1925 में भारत लौटे थे. देश को ऐविएशन सेक्टर में नई ऊंचाईयों तक पहुंचाने के बाद, आज ही के दिन, 19 नवंबर 1993 को किडनी इंफेक्शन की समस्याओं के चलते 89 वर्ष की आयु में उनकी मौत हो गई.
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