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    सफाई कर्मचारी से विधायक बनने का सफर, बड़ी संघर्ष भरी है इस शख्‍स की कहानी

  • March 14, 2022

    नई दिल्ली। ये कहानी है संतकबीर नगर के धनघटा विधानसभा सीट (assembly seat) से चुने गए भाजपा विधायक गणेश चौहान की। पिता राजमिस्त्री, खुद गणेश ने पहले मजदूरी की फिर सरकारी सफाई कर्मचारी बने और अब विधायकी तक का सफर पूरा किया है। उनकी इस उपलब्धि में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस की काफी अहम भूमिका है। पढ़िए गणेश की पूरी कहानी…

    सपा गठबंधन के प्रत्याशी को 10 हजार मतों से हराया
    गणेश (Ganesha) ने इस चुनाव में सपा गठबंधन से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रत्याशी अलगू प्रसाद चौहान को 10,553 वोटों से हराया है। यूं तो गणेश काफी पहले से राजनीति (Politics) में सक्रिय रहे हैं, लेकिन इस बार उन्हें बड़ी सफलता मिली है।

    पिता राजमिस्त्री, खुद स्कूल से ही संघ की शाखाओं में जाने लगे
    35 साल के गणेश चौहान का जन्म 4 मई 1986 को संत कबीर नगर जिले के मूड़ाडीहा गांव(Moodadiha Village) में हुआ था। पिता सुरेश चंद्र पेशे से राजमिस्त्री हैं। गणेश की शुरुआती शिक्षा संतकबीरनगर में ही हुई। स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस के संपर्क में आ गए। स्कूल में लगी संघ की शाखा से इतना प्रभावित हुए कि अगले ही दिन से शाखाओं में जाने लगे।



    एक इंटरव्यू में गणेश ने बताया कि संघ की शाखा में जाने के बाद से उनकी किस्मत बदल गई। वह राष्ट्र और देशवासियों के लिए सोचने लगे। समाज के लिए काम करने लगा। उन्हें लोगों की मदद करना अच्छा लगने लगा। स्कूल खत्म होने के बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ मजदूरी भी की। 2009 में उनकी नियुक्ति सफाईकर्मी के लिए हो गई। यहां से गणेश ने राजनीति में कदम रखा। सफाई कर्मचारी संघ के ब्लॉक अध्यक्ष चुन लिए गए।

    पिता और फिर पत्नी को लड़ाया चुनाव लेकिन हार ही मिली
    गणेश ने 2010 में अपने पिता को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया, लेकिन हार गए। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। 2014 में वह सफाई कर्मचारियों के प्रदेश संगठन मंत्री गन गए। इसके बाद 2017 में उन्होंने भाजपा से विधायकी का टिकट मांगा, लेकिन नहीं मिला। निराशा छोड़कर गणेश ने 2021 में अपनी पत्नी को ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ाया, लेकिन यहां भी वह तीन मतों से हार गईं। गणेश ने एक इंटरव्यू में बताया कि पत्नी को चुनाव लड़ाने के लिए उन्होंने कर्ज भी लिया था।

    गणेश बोले- भाजपा में ही ऐसा हो सकता है
    गणेश बताते हैं कि इस बार भी वह भाजपा से टिकट पाने के लिए लगातार मेहनत करते रहे और सफलता मिल गई। टिकट मिलने से पहले ही उन्होंने सफाई कर्मचारी की अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी। 35 साल के गणेश कहते हैं, ‘ये भाजपा में ही हो सकता है कि कोई चाय वाला प्रधानमंत्री बन जाए और सफाई कर्मचारी विधायक की कुर्सी तक पहुंच जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में सफाईकर्मियों के पैर धोए और संदेश दिया कि सफाईकर्मी किसी के अधीन नहीं हो सकते। अब मुझे टिकट मिला और फिर धनघटा के लोगों ने भी ये संदेश दे दिया कि एक आम कर्मचारी भी बड़ी ऊंचाइयां छू सकता है।’

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