ढलती शाम संग-ए-जिंदगी बस थोड़ा-सा मुस्कुरा लूं,
एक प्याली कॉफी के लिए कुछ फुरसत के लम्हें चुरा लंू।
माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार यूनिवर्सिटी अब बिशनखेड़ी में शिफ्ट हो चुकी है। 50 एकड़ में फैली ये यूनिवर्सिटी बेहद हरी भरी वादियों में अलग ही नजऱ आती है। इसकी विशाल लाइब्रेरी बिल्डिंग में वहां आने वाले सहाफियों (पत्रकारों) के लिए एक सुकून का कोना इन दिनों आकार ले रहा है। बकौल वाइस चांसलर केजी सुरेश साहब हम इस स्पेस को पत्रकार कैफे नाम देंगें। चूंकि ये यूनिवर्सिटी नए सहाफी तैयार करती है, लिजाज़ा हमारे यहां सहाफियों (पत्रकारों) का आना लगा रहता हैं। हम सोचा के यहां आने वाले भोपाल या दीगर शहरों के सहाफियों के लिए एक सुकून का कोना बनाया जाय। इस पत्रकार कैफे में पत्रकारों को कॉफी मुहैया कराएंगे।
यूनिवर्सिटी की इमारत में ग्राउंड फ्लोर पे इस पत्रकार कैफे की तामीर चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स के ताव्वुन से की जा रही है। यहां एक साथ बारह-पंद्रह सहाफी बैठ के कॉफी का मज़ा ले सकेंगे। केजी सुरेश साब बताते हैं किसी यूनिवर्सिटी में पहली बार ऐसा प्रयोग किया जा रहा है। हमारे यहां कई सहाफी (पत्रकार) रिसर्च के लिए भी आते हैं। शहर से दूर इस खामोश और सुकून वाली जगह पे ये पत्रकार कैफे जल्द ही तैयार हो जाएगा। पत्रकारों की सर्विस के लिए यहां स्टाफ भी रखा जाएगा। पत्रकार चाहें तो कैफे के ऊपर लाइब्रेरी से किताब लेकर यहां पढ़ भी सकते हैं। वे अपनी खबरों को लेकर भी तबदलाये ख्याल भी यहां कर पाएंगे। पत्रकार कैफे में सभी अखबार भी रखे जाएंगे। यहां सुकून भरे माहौल में पत्रकार अपने साथियों के साथ ही यूनिवर्सिटी के किसी अकादमिक हस्ती से भी मिल सकते हैं। इस तरह का प्रयोग कई महानगरों के कॉरपोरेट दफ्तरों में किया गया है। अगर ये प्रयोग कामयाब रहा तो ओस कैफे में कुछ और सहूलतें मुहैया करवाई जाएंगी। मुबारक हो साब पत्रकारों की सुध लेने के लिए।