नई दिल्ली: अगर आप नौकरी करते हैं तो आपके लिए यह बुरी खबर है. एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) ने इंट्रेस्ट रेट को घटाकर 4 दशक के न्यूनतम स्तर पर कर दिया है. यह इंट्रेस्ट रेट वित्त वर्ष 1977-78 के बाद सबसे कम है. चालू वित्त वर्ष यानी 2021-22 के लिए प्रोविडेंट फंड पर मिलने वाले इंट्रेस्ट रेट (Provident Fund Interest rates) को घटाकर 8.1 फीसदी कर दिया है. वित्त वर्ष 2020-21 के लिए यह इंट्रेस्ट रेट 8.5 फीसदी था.
EPFO fixes 8.1 pc as rate of interest on EPF deposits for 2021-22: Sources
— Press Trust of India (@PTI_News) March 12, 2022
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति और यूक्रेन क्राइसिस के कारण इकोनॉमी पर होने वाले दूरगामी प्रभाव को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. यूक्रेन क्राइसिस (Russia Ukraine crisis) के कारण तेल का भाव आसमान छू रहा है जिसके कारण इकोनॉमी का चैलेंज बढ़ गया है. इंट्रेस्ट रेट को लेकर गुवाहाटी में ईपीएफओ सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की दो दिनों से बैठक हो रही थी. इसी बैठक में यह फैसला लिया गया है. बोर्ड में लिए गए फैसले को पहले वित्त मंत्रालय को भेजा जाएगा. वित्त मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद ही इसकी आखिरी घोषणा की जाएगी.
वित्त वर्ष 1977-78 के बाद सबसे कम इंट्रेस्ट रेट
ईपीएफओ की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, वित्त वर्ष 1977-78 में 8 फीसदी का इंट्रेस्ट रेट जमा किया गया था. उसके बाद से इंट्रेस्ट रेट में लगाता बदलाव हुआ है लेकिन यह कभी भी 8.25 फीसदी के नीचे नहीं आया. पिछले दो वित्त वर्षों से इंट्रेस्ट रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया था. वित्त वर्ष 2019-20 में इंट्रेस्ट रेट घटाकर 8.5 फीसदी किया गया था. वित्त वर्ष 2020-21 में भी इसे 8.5 फीसदी रखा गया.
पिछले सात सालों में कितना रहा है इंट्रेस्ट रेट
मोदी सरकार जब सत्ता में आई थी तब इंट्रेस्ट रेट 8.75 फीसदी थी. वित्त वर्ष 2014-15 में इंट्रेस्ट रेट 8.75 फीसदी, वित्त वर्ष 2015-16 में इंट्रेस्ट रेट 8.80 फीसदी, वित्त वर्ष 2016-17 में इंट्रेस्ट रेट 8.65 फीसदी, वित्त वर्ष 2017-18 में इंट्रेस्ट रेट 8.55 फीसदी, वित्त वर्ष 2018-19 में इंट्रेस्ट रेट 8.65 फीसदी और वित्त वर्ष 2019-20 से इंट्रेस्ट रेट 8.5 फीसदी पर बरकार है.
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