रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) (Jharkhand Mukti Morcha (JMM)) के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य (Supriyo Bhattacharya) ने एक बार फिर राज्यपाल रमेश बैस और निर्वाचन आयोग (ईसी) (Election Commission – EC)) से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) की विधानसभा सदस्यता मामले (Assembly Membership Matters) में स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। उन्होंने आयोग का मंतव्य सीएम को उपलब्ध कराने का आग्रह किया है, ताकि प्रतिकूल स्थिति में न्यायिक प्रक्रिया का पालन किया जा सके और कोई साजिश न हो पाए।
सुप्रियो ने कहा कि एक सितंबर को यूपीए प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की थी, तब राज्यपाल ने दो दिनों में चुनाव आयोग को अपना निर्णय भेजने का भरोसा दिलाया था। लेकिन, अब तक स्थिति कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पायी है। उन्होंने कहा कि उसी दिन मुख्यमंत्री के कानूनी सलाहकार ने भी ईसीआई से हेमंत सोरेन के मामले में मंतव्य उपलब्ध कराने का आग्रह किया था, लेकिन 15 दिन बाद भी राज्यपाल या आयोग की ओर से न तो स्थिति स्पष्ट की गई है और न ही मंतव्य की प्रति उपलब्ध कराई गई है।
सुप्रियो ने कहा कि राजभवन और भारतीय न्यायाधिकरण से संरक्षण नहीं मिलेगा तो लोकतंत्र कैसे बचेगा। उन्होंने कहा कि राजभवन के फैसले के इंतजार के बीच मुख्यमंत्री हेमंत की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट ने दो निर्णयों से राज्य में खुशी और उमंग का वातावरण तैयार किया, लेकिन इसके बाद से ही विरोधी दल कई तरह के कुचक्र रचने लगे हैं। सीएम के दिल्ली दौरे को लेकर तरह-तरह की बातें होने लगी हैं।
कानूनी सलाहकार ने मांगी आयोग से मंतव्य की प्रति
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कानूनी सलाहकार ने भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिख कर खनन लीज मामले में राजभवन को सौंपे गये मंतव्य की प्रति जल्द उपलब्ध कराने की मांग की है। ताकि इस मामले में आगे कानूनी प्रक्रिया की जा सके। यह पत्र गुरुवार को आयोग को सौंपा गया है। निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र में कहा गया है कि आयोग के समक्ष आठ और 12 अगस्त को मुख्यमंत्री की ओर से दलीलें दी गई थी।
12 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रखते हुये आयोग ने दोनों पक्षों हेमंत सोरेन और भाजपा से अपना लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। कानूनी सलाहकार वैभव तोमर और मलक भट्ट की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट्स से जानकारी मिल रही है कि आयोग ने लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 ए के तहत अपना मंतव्य राजभवन को सौंपा दिया है।
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