नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में संगठन को मजबूत करने की कांग्रेस (Congress) की कोशिशों को झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए प्रदेश चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष (election campaign committee chairman) पद संभालने से इनकार कर दिया है। पर इसकी कई और भी वजह हैं। हालांकि, पार्टी का कहना है कि आजाद को मना लिया जाएगा।
आजाद की नाराजगी की अहम वजह उनकी राय लिए बगैर संगठन का पुनर्गठन है। उनके समर्थक पार्टी के इस कदम को आजाद के सियासी प्रभाव को कम करने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं। पार्टी ने विकार रसूल वानी को प्रदेश अध्यक्ष और रमन भल्ला को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब दोनों जम्मू से हैं।
गुलाम नबी आजाद का ताल्लुक भी जम्मू से है। ऐसे में उनके समर्थकों का कहना है कि पार्टी ने जानबूझकर जम्मू के नेताओं को तरजीह दी, ताकि आजाद का प्रभाव कम हो। हालांकि, विकार रसूल आजाद के भरोसेमंद माने जाते हैं। इसके साथ आजाद को लगता है कि प्रदेश प्रचार समिति के अध्यक्ष का पद उनके कद के मुकाबले बहुत छोटा है।
आजाद कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सलाह देने वाली पॉलिटिकल अफेयर्स समिति का हिस्सा हैं। ऐसे में उन्हें लगता है कि प्रदेश की समिति में रहने का कोई मतलब नहीं है। उनकी नाराजगी की एक वजह यह भी है कि प्रदेश समितियों के पुनर्गठन में उनकी राय नहीं ली गई। जमीनी नेताओं को नजरअंदाज किया गया।
साथ ही, कमेटी का अध्यक्ष बनाने की घोषणा से पहले उनको भरोसे में नहीं लेने की वजह से भी आजाद नाराज हैं। उनके करीबियों का कहना है कि घोषणा से पहले उन्हें भरोसे में लेना चाहिए था। आजाद के करीबी यह भी चाहते हैं कि पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करे। प्रदेश में अगले साल चुनाव हो सकते हैं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि आजाद से प्रदेश कांग्रेस के पुनर्गठन को लेकर चर्चा की गई थी। पार्टी अभी भी आजाद के संपर्क में हैं और उन्हें जल्द मना लिया जाएगा। मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में उन्होंने कहा कि सबसे वरिष्ठ नेता होने के नाते गुलाम नबी आजाद इस पद के लिए पूरी तरह योग्य हैं, पर यह फैसला समय पर लिया जाएगा।
दरअसल, गुलाम नबी आजाद पार्टी के असंतुष्ट नेताओं में शामिल हैं। असंतुष्ट नेताओं ने जुलाई 2020 में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कई मांग रखी थी। आजाद राज्यसभा के लिए भी दावेदार थे, पर पार्टी ने उनकी दावेदारी पर विचार नहीं किया। हालांकि, पिछले कुछ माह में असंतुष्ट गुट कमजोर हुआ है। कई नेता अब इस समूह में नहीं हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved