जम्मू (Jammu)। सीमापार के इशारे पर एक बार फिर दहशत फैलाने की साजिश (conspiracy to spread terror) रची गई है। इसकी शुरुआत दक्षिण कश्मीर (South Kashmir) से की गई है। साजिश है कि अनुच्छेद 370 हटने की वर्षगांठ (Article 370 abrogation anniversary) से पहले वर्ष 2018 के हालात पैदा किए जाएं जब खौफ से कई पुलिसकर्मियों ने सरकारी नौकरी छोड़ दी थी। हालांकि, अनुच्छेद 370 हटने के बाद सुरक्षा बलों की सख्ती का नतीजा है कि आतंकी तथा अलगाववादी समर्थक कोई भी घटना नहीं कर पा रहे थे। पिछले तीन साल से इस प्रकार की कोई घटना नहीं हो पाई थी। वर्ष 2020 से यह पहली घटना है जब किसी सैन्य जवान के अपहरण का दुस्साहस (audacity to kidnap a soldier) किया गया है।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद सुरक्षा बलों की सख्ती की वजह से जवानों के अपहरण व हत्या की घटनाओं पर ब्रेक लग गया था। अंतिम बार मई 2020 में शोपियां से एक पुलिसकर्मी का आतंकियों ने अपहरण किया था, लेकिन बाद में उसे सुरक्षित छोड़ दिया था। इसी साल अप्रैल में अनंतनाग के अरवानी इलाके में भी अपहरण की एक कोशिश हुई थी लेकिन अपहरण कर ले जा रहे दो आतंकी मुठभेड़ में मार गिराए गए थे। इसके बाद फिर से इस प्रकार की कोशिशें सिरे नहीं चढ़ पाई। पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटने के बाद सुरक्षा बलों की संख्ती से आतंकियों को कोई मौका नहीं मिला। अब सरकार की ओर से आतंकियों के पारिस्थितिकी तंत्र पर हमले के बाद से लगभग आतंकी व अलगाववादी घटनाएं हाशिये पर चली गई हैं। तीन साल बाद दोबारा दहशत फैलाने की कोशिश की गई है।
आतंकियों ने मई 2017 में दक्षिण कश्मीर में लेफ्टिनेंट उमर फैय्याज के अपहरण व हत्या के बाद से इस सिलसिले की शुरुआत की थी। वर्ष 2018 में पुलिसकर्मियों के अपहरण व हत्या की कई घटनाएं भी हुईं। हिजबुल मुजाहिदीन ने पुलिस में तैनात एसपीओ को काम छोड़ने की धमकी भी दी। दहशत पैदा करने के लिए कई एसपीओ के दर्जनभर से अधिक पारिवारिक सदस्यों का अपहरण कर लिया। दहशत में कई एसपीओ ने पूरी घाटी में इस्तीफे दे दिए। अब फिर से ऐसे हालात पैदा करने की साजिश की गई है।
हर दांव उल्टा पड़ता देख पाकिस्तान बौखलाहट में
सुरक्षा बलों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इस समय पाकिस्तान तथा उसकी खुफिया एजेंसी घाटी में तेजी से सामान्य होते हालात, विकास कार्यों, जी20 के सफल आयोजन, घुसपैठ की घटनाओं पर प्रभावी ढंग से अंकुश से बौखलाहट में है। आतंकी संगठनों तथा अलगाववादी संगठनों के हाशिये पर जाने से उनमें हताशा है। उसका हर दांव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है। इस वजह से आतंकी संगठनों को अपनी उपस्थिति जताने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे वह रह रहकर अशांति फैलाने वाली घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि अब उन्होंने दक्षिण कश्मीर को फिर से टारगेट किया है। यहां पिछले कुछ दिनों में प्रवासी मजदूरों पर हमले के बाद अब सैन्य जवान का अपहरण, यह सब दहशत फैलाने की साजिश का हिस्सा है। आतंकी संगठनों का मानना है कि स्थानीय पुलिस नेटवर्क के जरिये ही आतंकी संगठनों पर नकेल कसी जा रही है। इस वजह से ऐसी दहशत फैलाई जाए कि यह नेटवर्क ठीक से काम न कर सके। दूसरा प्रवासी मजदूरों पर हमले से विकास कार्यों को भी पटरी से उतारने का षडयंत्र है।
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