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    जम्मू-कश्मीर परिसीमन: SC ने केंद्र ,जम्मू-कश्मीर प्रशासन और EC से याचिका पर मांगा जबाव

  • May 13, 2022

    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र, जम्मू और कश्मीर प्रशासन और चुनाव आयोग से याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों (Lok Sabha constituencies) को फिर से तैयार करने के लिए परिसीमन आयोग के गठन के सरकार के फैसले (Government decisions) को चुनौती दी गई थी। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश (Sanjay Kishan Kaul and Justice MM Sundaresh) की बेंच ने केंद्र और भारत के चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर जवाब मांगा और कहा कि इसके बाद दो सप्ताह में जवाबी हलफनामा दायर किया जाएगा।

    शुरुआत में श्रीनगर के दो निवासियों हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ. मोहम्मद अयूब मट्टू की ओर से पेश वकील ने कहा कि संविधान की योजना के उलट परिसीमन का कार्य किया गया है और सीमाओं में बदलाव और विस्तारित क्षेत्रों को शामिल नहीं किया जा सकता। इस पर पीठ ने कहा कि कुछ समय पहले परिसीमन आयोग का गठन किया गया था और याचिकाकर्ताओं से पूछा कि वे उस दौरान कहां थे और उन्होंने आयोग के गठन को चुनौती क्यों नहीं दी।



    वकील ने कहा कि परिसीमन आदेश के अनुसार, चुनाव आयोग को ही कोई बदलाव करने का अधिकार है। पीठ ने कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक विशिष्ट प्रश्न पूछ रही है कि आपने आयोग के गठन को ही चुनौती क्यों नहीं दी और क्या आप अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को भी चुनौती देते हैं। पीठ ने आपत्तिजनक दलीलें दे रहे वकील से कहा कि वह अपने शब्दों का सही चुनाव करें और कहा कि कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है और सिर्फ एक विशेष प्रावधान को हटा दिया गया है।

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि परिसीमन केवल भारत के चुनाव आयोग द्वारा किया जा सकता है, न कि परिसीमन आयोग द्वारा। मेहता ने कहा कि दूसरी बात उन्होंने जनगणना को लेकर सवाल उठाए हैं। सवालों का जवाब पुनर्गठन अधिनियम में है। दो प्रकार के परिसीमन होते हैं। एक भौगोलिक स्थिति से संबंधित है जो परिसीमन आयोग द्वारा संचालित किया जाता है और दूसरा चुनाव आयोग द्वारा सीटों के आरक्षण के संबंध में किया जाता।

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