जम्मू (Jammu)। केंद्र सरकार (Central government) यह जांचने के लिए सहमत हो गई है कि संविधान की छठवीं अनुसूची (Sixth Schedule Constitution) के प्रावधानों को लद्दाख (Ladakh) के संदर्भ में कैसे लागू किया जा सकता है। नागरिक समाज के नेताओं और गृह मंत्रालय (एमएचए) (Ministry of Home Affairs (MHA) के अधिकारियों के बीच शनिवार को बनी सहमति के अनुसार, अगली बैठक में नागरिक समाज के कानूनी व सांविधानिक विशेषज्ञ और सरकारी अधिकारी लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और इसे छठवीं अनुसूची के तहत शामिल करने की वैधता और संदर्भ पर चर्चा के लिए एक साथ आएंगे।
संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत छठवीं अनुसूची जनजातीय आबादी की रक्षा करती है, स्वायत्त विकास परिषदों के निर्माण की अनुमति देती है जो भूमि, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि पर कानून बना सकती हैं। अब तक, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में 10 स्वायत्त परिषदें मौजूद हैं।
जल्द हल होंगे अन्य मुद्दे
लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के सदस्यों ने शनिवार को तीसरे दौर की बैठक के लिए एमएचए अधिकारियों से मुलाकात की। संयुक्त रूप से लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा, छठवीं अनुसूची में लद्दाख को शामिल करने और इसे आदिवासी दर्जा देने, स्थानीय निवासियों के लिए नौकरी में आरक्षण, लेह व कारगिल के लिए एक-एक संसदीय सीट और अलग लोक सेवा आयोग की मांग कर रहे हैं।
केडीए के सज्जाद कारगिली ने कहा, गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि लद्दाख के लिए सेवा चयन बोर्ड बनाने का मुद्दा जल्द हल करेंगे। वे जांच कर रहे हैं कि क्या पूर्वोत्तर राज्यों के छठवीं अनुसूची क्षेत्रों की तर्ज पर राजपत्रित नौकरियां दी जा सकती हैं। सकारात्मक परिणाम एलएबी और केडीए के बीच एकता का परिणाम है। भाजपा के पूर्व सांसद व एलएबी नेता थुपस्तान छेवांग के अनुसार बैठक सकारात्मक रही।
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