नई दिल्ली (New Dehli) । पाकिस्तान (Pakistan) ने तबाही की बड़ी साजिश (conspiracy) के तहत पहले अफगानी आतंकियों (terrorists) को कश्मीर घाटी (Kashmir Valley) में भेजा और अब घाटी में सक्रिय आतंकियों को पेन पिस्टल (pen pistol) की खेप भेजने लगा है। वर्ष 2002 के बाद पहली बार अल बद्र आतंकी शफायत जुबैर रेशी (Shafayat Zubair Reshi) से यह पिस्टल बरामद हुआ है। रेशी को पाकिस्तान ने बांदीपोरा में दोबारा आतंकवाद को जिंदा करने की कमान सौंपी थी। जम्मू -कश्मीर के पूर्व डीजीपी डॉ. एसपी वैद का मानना है कि यह बड़ा और नया खतरा है। किसी भी टारगेट को इस पिस्टल से आसानी से निशाना बनाया जा सकता है। पेननुमा होने की वजह से सुरक्षा जांच में चूक की आशंका बनी रहेगी। इसलिए सुरक्षा बलों को अब अतिरिक्त सर्तकता बरतनी होगी।
कश्मीर घाटी में किसी आतंकी से पेन पिस्टल 21 साल बाद बरामद हुआ है। इससे पहले बडगाम के नौगाम इलाके में एक लावारिस घर से बीएसएफ ने हथियारों की खेप जुलाई 2002 में पकड़ी थी, जिसमें पेन पिस्टल भी था। इसके बाद से कभी इसका इस्तेमाल नहीं हुआ। अब जाकर बांदीपोरा में शनिवार को पकड़े गए आतंकी शफायत जुबैर रेशी को देने के लिए हथियारों की खेप भेजी गई थी। इसमें पेन पिस्टल भी था। हथियारों की इस खेप को मारे गए आतंकी कमांडर युसूफ चौपान की पत्नी मुनीरा बेगम की ओर से शफायत तक पहुंचाए जाने का जिम्मा सौंपा गया था। मुनीरा पाकिस्तान भी जा चुकी है। जानकारों का कहना है कि यह पेन की शक्ल का होता है। इससे सिंगल फायर किया जा सकता है। लेकिन यह खतरनाक इस वजह से है कि बिना किसी डर भय के आतंकी इस पिस्टल को लेकर कहीं भी पहुंच सकता है। सुरक्षा जांच में आतंकी बच सकता है।
वैसे इलाके चिह्नित जहां आतंकी गतिविधियां कम
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान ने उन स्थानों को चिह्नित किया है जहां आतंकवाद खत्म हो गया था या फिर आतंकी गतिविधियां कम हो गई थीं। बांदीपोरा के साथ-साथ सीमावर्ती जिले तथा पीर पंजाल के डोडा, किश्तवाड़ व रामबन को निशाना बनाया गया है। यहां दोबारा से आतंकी गतिविधियों को तेज करने की साजिश के तहत सीमा पार से घुसपैठ की लगातार कोशिशें की जा रही हैं। हथियारों की खेप भेजी जा रही है। पाकिस्तान किसी भी तरह से जम्मू-कश्मीर के माहौल को अशांत करने की साजिश में जुटा हुआ है। इसके लिए वह हर तरह के हथकंडे अपना रहा है।
पुराने आतंकियों का इस्तेमाल, अल बद्र व हिजबुल को जिम्मेदारी
अनुच्छेद 370 हटने के चार साल में कश्मीर के माहौल में जबर्दस्त बदलाव आया है। अब आतंकवाद तथा आतंकियों को प्रश्रय देने वालों में कमी आई है। इससे युवाओं की भर्ती बिल्कुल रुक गई है। सक्रिय आतंकियों ने सुरक्षित ठिकाना खोज लिया है। सुरक्षा बलों की कार्रवाई के बाद किसी भी संगठन का कोई भी कमांडर बचा नहीं रह गया है। इस वजह से संगठन को दिशा देने वाला कोई नहीं है। इस बौखलाहट में पाकिस्तान ने दोबारा पुराने आतंकियों तथा अल बद्र जैसे संगठन पर दांव खेलना शुरू कर दिया है।
बांदीपोरा में 26 जुलाई को पकड़ा गया अल बद्र का आतंकी शफायत रेशी काफी दुर्दांत आतंकी है। उस पर 2000 में धमाका कर श्रीनगर के कोठीबाग इलाके में 12 पुलिसकर्मियों समेत 14 लोगों की हत्या तथा 2009 में सुंबल में सैन्य वाहन को जलाने जैसा गंभीर आरोप है। 2009 के बाद वह हाशिये पर चला गया था। अब दोबारा उसे बांदीपोरा में आतंकवाद को जिंदा करने का जिम्मा सौंपा गया है। पुंछ में कुछ दिन पहले एलओसी पर अल बद्र का कमांडर और अफगानी आतंकी अब्दुल वाहिद को भी पाकिस्तान ने भेजा था, जिसे सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया।
दिव्यांग होने के नाते उसे इस पार धकेला गया था ताकि कोई शक न कर सके। पुंछ में सात अगस्त को घुसपैठ के दौराना मारा गया हिजबुल कमांडर मुनिसर हुसैन काफी पुराना आतंकी था। 1998 में वह पाकिस्तान चला गया था। आईएसआई ने उसे दोबारा सीमा पार धकेला ताकि वह राजोरी पुंछ में हिजबुल को पुनर्जीवित कर दोनों जिलों में आतंकवाद को दोबारा जिंदा कर सके।
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