नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) (International Border (IB) तथा नियंत्रण रेखा (एलओसी) (Line of Control (LOC) से लगते आठ जिलों के 18 विधानसभा के 461 मतदान केंद्र (461 polling stations) पाकिस्तानी गोलाबारी की जद में हैं, लेकिन यहां लोकतंत्र का उत्सव चरम पर रहता है। वोट जमकर बरसते हैं। मतदाता बिना किसी भय के मतदान केंद्रों तक पहुंचकर अपने अधिकार का उपयोग करते हैं। सरहद से पाकिस्तान को वोट से जवाब देने से पीछे नहीं हटते। बॉर्डर इलाके के मतदाताओं को मताधिकार के इस्तेमाल का फिर इंतजार है। आयोग को उम्मीद है कि दस साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव (Assembly elections.) में इन इलाकों में लोकतंत्र का जश्न चरम पर रहेगा।
2024 के लोकसभा चुनाव तथा 2014 के विधानसभा चुनाव की बात करें इन सभी इलाकों में भारी मतदान हुआ। अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे हीरानगर, सांबा जिले के रामगढ़, जम्मू के बिश्नाह, सुचेतगढ़, अखनूर, मढ़ व छंब, कुपवाड़ा के करनाह, त्रेहगाम, कुपवाड़ा व लोलाब, बांदीपोरा के गुरेज, बारामुला के उड़ी, पुंछ जिले के पुंछ हवेली व मेंढर तथा राजोरी जिले के नौशेरा, राजोरी व थन्नामंडी विधानसभा हलकों के 461 ऐसे मतदान केंद्र चिहि्नत किए गए हैं जो पाकिस्तानी गोलाबारी की जद में आते हैं। आयोग की ओर से इन केंद्रों के लिए वैकल्पिक इंतजाम भी किए गए हैं ताकि गोलाबारी होती है तो मतदान पर किसी प्रकार का असर न पड़ने पाए। इसके लिए सामुदायिक बंकरों में भी सभी प्रकार के इंतजाम करने को कहा गया है। विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 25 सितंबर को राजोरी व पुंछ जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में वोट पड़ेंगे। यहां पहाड़ी व गुज्जर समुदाय के मतदाता अधिक हैं।
वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो यह सभी विधानसभा हलके फस्टर् क्लास में पास थे। सभी में 65 फीसदी से अधिक मतदान हुआ था। सात विधानसभा हलकों में तो 80 प्रतिशत से अधिक लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में कुपवाड़ा के लोलाब व बांदीपोरा के गुरेज के लोग प्रथम श्रेणी में पास नहीं हो पाए थे। यहां क्रमशः 58.77 व 40.81 प्रतिशत मतदान हुआ था। लोकसभा चुनाव में तो बॉर्डर के इलाकों में भीषण गर्मी के बाद भी सुबह से मतदाताओं की लंबी लाइन लग गई थी। इनमें महिलाएं भी पीछे नहीं थीं।
पुंछ के करमाड़ा सेक्टर में अंतिम गांव सियाल में महिलाओं का खासा उत्साह देखने को मिला था। यहां गुज्जर आबादी अधिक है। मतदाताओं का कहना था कि बेखौफ होकर वह मतदान केंद्रों तक पहुंचे हैं। इलाके के विकास के लिए वह डोल रहे हैं। परिणाम क्या निकलेगा, इसकी जानकारी के बगैर ही अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। इस पूरे इलाके के लोग पाकिस्तानी गोलाबारी का जोखिम होने के बाद भी हर चुनाव में बढ़ चढ़कर भागीदारी करते हैं और यहां जमकर वोट बरसते हैं।
लोकसभा चुनाव में इन सभी जिलों के बॉर्डर से लगते 17 विधानसभा हलकों के 424 मतदान केंद्र चिह्नित किए गए थे जो पाकिस्तानी गोलाबारी की जद में आते हैं। 2024 के विधानसभा चुनाव में यह संख्या बढ़कर 461 हो गई है यानी 37 मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ी है। चुनाव आयोग की ओर से भी बॉर्डर इलाके के मतदान केंद्रों पर विशेष रखी जाती है। यहां हर प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराने का स्पष्ट निर्देश है।
पाकिस्तानी गोलाबारी दायरे में जिला और मतदान केंद्र
कुपवाड़ा – 77
बांदीपोरा – 31
बारामुला – 39
जम्मू – 152
सांबा – 34
कठुआ – 29
पुंछ – 54
राजोरी – 45
कुल – 461
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