भोपाल: मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी (Madhya Pradesh Congress President Jitu Patwari) ने देश और प्रदेश में जानलेवा दवाओं की बिक्री का मुद्दा (issue of sale of deadly drugs) उठाया है. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 7 महीने में 10 मामले सामने आ चुके हैं. बच्चों के 6 कफ सिरप में जानलेवा केमिकल डाई-एथिलीन ग्लाइकोल (Chemical Di-ethylene glycol) और एथिलीन ग्लाइकोल (ethylene glycolSee dictionary) पाया गया है. मध्य प्रदेश में लोकसभा का चुनाव संपन्न हो चुका है.
चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार पर भी आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. जीतू पटवारी ने दवा में जानलेवा केमिकल मिले होने का आरोप लगाया. मध्य प्रदेश के ड्रग इंस्पेक्टर धर्मशील कुशवाहा से आरोपों की सच्चाई जानने की कोशिश की गयी. उन्होंने कहा कि काफी पुराना मामला है. उन्होंने बताया कि डाई-एथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल जानलेवा केमिकल नहीं है. इसे इंटीग्रेटेड के रूप में मिलाया जाता है.
भोपाल में दवा परीक्षण के लिए राज्यस्तरीय लैब है. लैब में प्रदेश के सभी जिलों से आने वाले सैंपल की जांच होती है. जांच में 1 से 2 महीने का वक्त भी लग जाता है. सरकार ने इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में भी दवा परीक्षण के लिए लैब बनाया है. इंदौर में जल्द लैब चालू होने वाली है. ग्वालियर और जबलपुर में लैब अंडर कंस्ट्रक्शन है.
मध्य प्रदेश के सभी जिलों में लगभग 50 ड्रग इंस्पेक्टर तैनात किए गए हैं. ड्रग इंस्पेक्टर एक महीने में कम से कम 10 सैंपल जरूर लेते हैं. कभी-कभी अधिक संख्या में भी सैंपल लेना पड़ते हैं. 10 सैंपल का टारगेट होने पर पूरे जिलों से महीने भर में 500 सैंपल को दवा की जांच के लिए राज्यस्तरीय लैब भेजा जाता है. परीक्षण में दवा के सैंपल फेल होने पर सरकार ने विशेषज्ञों की टीम गठित कर रखी है. टीम के अधिकार क्षेत्र में दो निर्णय लेना पड़ता है. एक निर्णय प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई का होता है, जबकि दूसरा लीगल एक्शन लिया जाता है. इसमें कंपनियों पर क्रिमिनल केस भी दर्ज होता है.
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