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    जिराती ने फैलाया रायता, संघ के साथ पूरी भाजपा खिलाफत में

  • May 22, 2021

    मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में राशन, फल, सब्जी बंद करने की कोई बात नहीं हुई…
    इंदौर। अचानक राशन के साथ फल, सब्जी बंद करने का जो आदेश प्रशासन ने परसो रात को जारी किया, उसको लेकर सोशल और अन्य मीडिया पर तो आलोचना चल ही रही है, वहीं संघ से लेकर पूरी भाजपा (BJP) ही खिलाफत में नजर आई। पार्टी कार्यालय पर हुई बैठक में सभी भाजपा के पदाधिकारियों-नेताओं ने इस निर्णय को अनुचित बताया और इसका ठीकरा पार्टी की ओर से कोविड संकट के नए-नवेले प्रभारी जीतू जिराती पर फूटा। दरअसल मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan)  ने कलेक्टर कार्यालय पर जो कोरोना समीक्षा बैठक ली, उसमें इस तरह के फैसले पर कोई चर्चा ही नहीं हुई। दरअसल एक अखबार में छपे मंडी के फोटो को जिराती ने अपने मोबाइल से मुख्यमंत्री को दिखाया और कहा कि इस तरह से भीड़ लगेगी तो संक्रमण कैसे रूकेगा..? लिहाजा मुख्यमंत्री ने भी बिना मैदानी स्थिति जाने और समझे अलग से कलेक्टर को निर्देश दे दिए।
    इंदौर जहां तेजी से स्वस्थ होने लगा और संक्रमण की दर भी घट रही है, ऐसे में जनता और छोटे कारोबारियों को उम्मीद थी कि सोमवार से कुछ और रियायतें मिल जाएगी, लेकिन हुआ इसके ठीक विपरित और अचानक कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने एक नया आदेश जारी किया, जिसमें तत्काल प्रभाव से पूर्व में दी गई छूट को 28 मई तक समाप्त कर दिया, जिसमें राशन की दुकानों के साथ-साथ फल-सब्जी के विक्रय पर भी रोक लगा दी और सभी मंडियों को भी बंद कर दिया। चूंकि 29 और 30 मई को शनिवार-रविवार है। लिहाजा अब 10 दिनों तक लोगों को राशन के साथ फल-सब्जी नहीं मिलेगी। नतीजतन आदेश जारी होते ही उसका विरोध शुरू हो गया। ट्वीटर, फेसबुक, व्हाट्सएप पर तो लोगों ने अपनी भड़ास निकाली ही, वहीं कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के भी सारे नेताओं ने इसकी खिलाफत की। यहां तक कि भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने तो ट्वीट कर दो टूक कहा कि आखिर क्या जरूरत है एक अलोकतांत्रिक और तानाशाह भरे निर्णय को इंदौर जैसे अनुशासित शहर पर थोपने की, जिस निर्णय की सर्वत्र निंदा हो रही हो उस पर पुनर्विचार होना ही चाहिए। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को मिलकर विचार करना चाहिए। इसी तरह वरिष्ठ नेता और पूर्व महापौर मोघे ने भई अचानक फल-सब्जी विक्रय बंद करने पर सवाल खड़े किए औ्र कहा कि किसानों और व्यापारियों ने फल-सब्जी गोदामों में रखी। उन्हें निकालने के लिए 12 घंटे का समय दिया जाना था। कल पार्टी कार्यालय पर हुई बैठक में भी सबने विरोध किया और पता चला कि पूर्व विधायक जीतू जिराती ने मुख्यमंत्री को भ्रमित कर यह फैसला करवा दिया। संघ से जुड़े स्थानीय पदाधिकारी और समर्थक भी इस फैसले से नाखुश बताए गए और मुख्यमंत्री तक सभी ने अपना विरोध दर्ज करवाया। इन नेताओं का कहना है कि बैठक में यह मुद्दा उठा ही नहीं। अन्यथा उसी वक्त इसका विरोध कर दिया जाता। वो तो अलग से मुख्यमंत्री ने जाते-जाते निर्देश दे दिए।


    आदेश में जल्द ही संशोधन की संभावना
    राशन के अलावा सबसे बड़ी दिक्कत फल-सब्जी को लेकर हो रही है और जनता ने भी इसे तानाशाही रवैया बताया। अस्पतालों में भर्ती मरीज और होम आइसोलेशन में उपचाररत को भी फल-ज्यूस, नारियल पानी लगते हैं और यह डॉक्टरी सलाह में भी शामिल रहते हैं। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए पौष्टिक आहार, जिसमें फल, निम्बू, ज्यूस शामिल हैं, उससे भी मरीजों के साथ-साथ अन्य जनता वंचित हो गई। सूत्रों का कहना है कि इस फैसले के तगड़े विरोध के चलते जल्द ही संशोधन हो जाएगा। संभवत: आज नहीं तो सोमवार तक मुख्यमंत्री इस संबंध में निर्देश देंगे और प्रशासन राशन, फल, सब्जी की अनुमति का संशोधित आदेश जारी कर सकता है। इससे गरीब ठेले वालों को भी आर्थिक नुकसान हुआ। कई लोगों ने सुबह बेचने के लिए सब्जियां खरीद ली थी और रात को अचानक आदेश प्रतिबंध का जारी हो गया, जिसके चलते हजारों फल-सब्जी बेचने वाले छोटे-छोटे लोगों को भी नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि गर्मी के इन दिनों में वैसे भी फल-सब्जी जल्दी खराब हो जाती है।

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