नई दिल्ली: भारत-चीन (India-China) के नेताओं के बीच ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (brics summit) में कोई द्विपक्षीय बातचीत नहीं हो सकी. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहते थे लेकिन पीएम ने इसके लिए हामी नहीं भरी. चीन ने पीएम से मिलने का अनुरोध किया था. आपस में बैठकर तो बात नहीं हुई लेकिन लाउंज में पीएम मोदी और जिनपिंग ने बात की. इस दौरान दोनों नेता लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी से डि एस्केलेशन पर सहमत हुए. भारत-चीन में इस मुद्दे पर कमांडर और जनरल लेवल की बातचीत हुई है और धीरे-धीरे मसले का हल भी हो रहा है.
ब्रिक्श शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) 23-24 अगस्त को दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में थे. यहां जोहांसबर्ग में दो दिवसीय शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था. उम्मीद थी कि पीएम मोदी और जिनपिंग की मुलाकात होगी और वे सीमा पर तनावों को लेकर द्विपक्षीय बातचीत करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका. लाउंज की बातचीत में पीएम और शी जिनपिंग चलते हुए बात करते दिखे. प्रधानमंत्री मोदी आगे-आगे चल रहे थे और जिनपिंग उन्हें फॉलो करते हुए अपनी बात रख रहे थे.
तनाव कम होगा तभी सुधरेंगे भारत-चीन के रिश्ते
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बाद में मीडिया से बताया कि पीएम मोदी ने शी जिनपिंग से बातचीत में एलएसी पर तनाव को कम करने की बात कही. मसले को सुलझाने पर सहमति जताई. पीएम मोदी ने यह बात भी रखी कि सीमा पर शांति से ही दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य हो सकते हैं. भारत की तरफ से यह शुरू से कहा जाता रहा है कि चीन जबतक सीमा पर शांति कायम नहीं करेगा तबतक दोनों देशों के रिश्ते नहीं सुधर सकते. भारत-चीन के बीच कमांडर और जनरल लेवल की कई बाततचीत हुई है. हाल ही में 19वें दौर में जनरल लेवल की मीटिंग हुई. इस मीटिंग का, हालांकि कोई ठोस नतीजा नहीं निकला.
BRICS का हुआ विस्तार, खाड़ी के ये तीन देश भी बने सदस्य
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता इस बार दक्षिण अफ्रीका ने की थी. जोहांसबर्ग में विदेशी नेताओं के लिए मंच तैयार किया गया था. इस मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अलावा सदस्य देशों के नेता पहुंचे. हालांकि, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ब्रिक्स समिट में नहीं गए. ब्रिक्स की विस्तार भी किया गया है. छह देशों सऊदी अरब, ईरान, युनाइटेड अरब अमीरात, अर्जेंटिना, इथोपिया और मिस्र इस संगठन के नए सदस्य होंगे. जनवरी 2024 से वह आधिकारिक रूप से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं वाले इस संगठन के सदस्य होंगे.
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